मानसून को भटका गई धूल भरी आंधी

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जोधपुर.

राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर जैसे जिलों में तकरीबन सप्ताह भर से धूल भरी आंधी का दौर चल रहा है. धूल भरी आंधी में मानसून अटक गया है. सड़कों पर रेतीले टीले बन गए हैं जिससे रास्ते जाम हो गए हैं.

पश्चिमी राजस्थान का इन दिनों यही हाल है. बताया जाता है कि इस तरह की आंधी चलने का दौर तकरीबन दो दशक के बाद शुरू हुआ है. इसका खामियाजा जोधपुर जैसे शहर को भुगतना पड़ रहा है.

पंद्रह दिनों में नहीं हुई वर्षा

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक राजस्थान में 1 से 4 जुलाई के बीच मानसून आ गया था. इसके बावजूद पंद्रह दिनों के दौरान बारिश का नामोनिशान देखने को नहीं मिल रहा है.

इसका कारण पूछे जाने पर वैज्ञानिक बताते हैं कि दरअसल मानसून की टर्फ लाइन शिफ्ट हो गई है. इसी के असर से अब नेपाल, असम, बिहार, उत्तरप्रदेश की ओर बारिश जा रही है.

चूंकि टर्फ लाइन हिमालय की तरफ खसक रही है इसकारण बारिश भी उसी दिशा में बढ़ रही है. वैज्ञानिक बताते हैं कि सामान्यत: जुलाई में यह टर्फ लाइन राजस्थान में सक्रिय रहती है.

बताया जाता है कि हवा किसी एक जगह पर एकत्र होती है तो वहां कम दबाव का क्षेत्र बनता है. ऐसा अक्सर मानसून के दौरान होता है. लेकिन टर्फ लाइन शिफ्टिंग के चलते पंद्रह दिनों के दौरान राजस्थान पानी के लिए तरसा है.

आशंका जताई गई है कि अकेले जोधपुर में 20 जुलाई तक बारिश नहीं होगी. जैसलमेर की पहचान मानी जाने वाली आंधी ने अब जोधपुर को हलाकान कर दिया है.

दो दशक पहले जैसलमेर में इस तरह की आंधी से सब कुछ ढप हो जाता था. इस बार भी हालात वैसे ही हैं. सैकड़ों गांवों, ढाढियों में रेत के बवंडर से रास्ते जाम हो गए हैं. पोल व तार टूटकर गिर पड़े हैं.

लोंगेवाला से तनोट जाने वाला मार्ग इन दिनों अवरूद्ध हो गया है. पोकरण की ओर जाने वाली फतेहगढ़ की सड़क रेत से अटी पड़ी है. यही हाल रासला-बहोड़ा गांव जाने वाले रास्ते का है.

इसके अलावा भी ऐसे बहुत से रास्ते हैं जो कि रेत भरी आंधी चलने से इन दिनों अवरूद्ध हो गए हैं. इनमें रामा से खुहड़ी, रामगढ़-आसुतरा-लोंगेवाला, घोटारू, जैसलमेर-खुइयाला मार्ग इन दिनों रेत से सराबोर नजर आते हैं.

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