क्या एमजीएम में लगा है नान का पैसा!

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रायपुर.

नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुआ कथित घोटाला छत्तीसगढ़ की राजनीति और नौकरशाही के संबंधों को उजागर करता है. एक तरफ राजनेता फर्जी तरीके से जुटाए गए रुपयों को खपाने नौकरशाही की मदद लेता है तो दूसरी ओर नौकरशाही बाजार पर उतर आती है.

नान में हुआ यह मामला अब तक छत्तीसगढ़ के लोगों को खुलकर समझ में नहीं आ पाया है. क्यूंकि खेल इतना बड़ा और व्यापक है कि उसे समझने दो जून की रोजी-रोटी कमाने में लगे छत्तीसगढ़ के आम लोगों के पास यदि कुछ नहीं है… तो वह है समय.

कौन है चिंतामणी, कौन है सीएम?

दरअसल, नान की परतें धीरे-धीरे खुल रहीं हैं. इसके साथ ही कई नए नाम और कई ऐसे लोग सामने आ रहे हैं जिन्हें पाक साफ होना चाहिए था लेकिन वे हैं नहीं.

तो क्या नान का अवैध तरीके से कमाया गया पैसा बाजार में दौड़ रहा है? तो क्या नौकरशाही ने अपने सोर्स के माध्यम से बाजार को मथने का प्रयास किया है? तो क्या राजनेता और नौकरशाही का संबंध इतना व्यापक था कि खुलकर दोनों के बीच रुपयों का लेन-देन हुआ?

रायपुर के सड्डू में ऐसा ही एक इंस्टिट्यूट स्थापित है. एमजीएम आई इंस्टिट्यूट के नाम से इस संस्था को जाना जाता है. जानने वाले तो यह भी जानते हैं कि इस संस्था का कर्ता-धर्ता मुकेश गुप्ता नामक वह व्यक्ति है जिसे छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के पूर्व तक आम छत्तीसगढिय़ा आदमी बेहद ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, निडर अफसर के रुप में जानता था.

खैर, बात अब एमजीएम आई इंस्टिट्यूट की… सूत्र बताते हैं कि नान से निकला पैसा एमजीएम आई इंस्टिट्यूट तक पहुंचाया गया है. इसी कड़ी को पकड़कर अब ईओडब्लू जांच कर रही है.

ईओडब्लू के एसपी आईके एलेसेला बोलते हैं कि, नान में जब हल्ला मचना चालू हुआ तब बात उठी सीएम के नाम पर..इस सीएम को चिंतामणी बताया गया. चिंतामणी को एमजीएम के ट्रस्ट का ट्रस्टी बताया जाता है.

एलेसेला के अनुसार बहुत सारा पैसा सीएम यानि कि चिंतामणी के पास पहुंचाया गया है. इसी चिंतामणी ने उस पैसे को अपने ट्रस्ट एमजीएम में लगाया है. वे बताते हैं कि कभी एक करोड़, कभी 40 लाख रुपए जैसी रकम सामने आई है. अब इन्हीं सबको एक लाईन ऑफ इंवेस्टिगेशन के रुप में लिया गया है.

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