आईपीएस गुप्ता-सिंह के खिलाफ एफआईआर के मामले में शह और मात का खेल

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नेशन अलर्ट, 97706-56789

रायपुर.

नागरिक आपूर्ति निगम (नान) से जुड़ा हुआ अवैध फोन टेपिंग का मामला अब बेहद गंभीर हो गया है. इसी मामले में ईओडब्लू के तत्कालीन मुखिया आईपीएस मुकेश गुप्ता और एसपी रहे रजनेश सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है… लेकिन यही एफआईआर शह और मात के खेल में तब्दील हो गई है.

उल्लेखनीय है कि मामला कल उस समय बेहद गंभीर हुआ जब इससे जुड़े टीआई आरके दुबे के बयान को आधार बनाकर प्रदेश के हालिया स्पेशल डीजी मुकेश गुप्ता व नारायणपुर एसपी रजनेश सिंह के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया. फोन टेप करने सहित नान मामले में कथित फर्जीवाड़े को लेकर विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज किया गया था.

फिर क्यों पलट गए दुबे?

एफआईआर का आधार टीआई रहे आरके दुबे द्वारा दिए गए बयान को बनाया गया था. उन्होंने यह बयान दिया था कि कूटरचना उनसे एफआईआर में आरोपी के कालम में दर्ज मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह ने धमकी देकर कराई ताकि वे दोनों विधि विरूद्ध की गई फोन टेपिंग को वैध करा लें.

इसके बाद ईओडब्लू के इंस्पेक्टर आरके दुबे कल अचानक कोर्ट पहुंच गए थे. उन्होंने कोर्ट में शपथपत्र देकर चौंकाने वाला बयान दिया. जिस न्यायालय में नान मसले की सुनवाई चल रही है वहां एक शपथपत्र दुबे ने दिया था. यह शपथपत्र अट्ठारह बिंदुओं का था.

इसी शपथपत्र के साथ डीजीपी को संबोधित एक पत्र भी लिखा गया. दुबे द्वारा लिखे गए इस पत्र में डीजी को संबोधित किया गया था कि विशेष टीम के द्वारा दबावपूर्वक कुछ दस्तावेज तैयार किए गए हैं. इसकी सूचना मैंने (आरके दुबे) विशेष न्यायालय को दी है. मेरे ऊपर की जा रही दबावपूर्वक कार्यवाही से मेरी रक्षा करें. मेरे तथा मेरे परिवार को सुरक्षा दें.

चीफ जस्टिस तक पहुंचा मामला

शुक्रवार आते आते मामला प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश तक पहुंच गया था. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के कक्ष क्रमांक 01 में टीआई आरके दुबे ने अपनी जान को खतरा बताते हुए एक आवेदन दिया था.

मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने जो आवेदन टीआई दुबे द्वारा दिया गया था उसे गंभीरता से लिया. दोपहर बार उन्होंने इस आवेदन पर सुनवाई की. लेकिन सुनवाई के बाद आरके दुबे को झटका लग गया.

दरअसल हाईकोर्ट ने आरके दुबे को किसी भी तरह से सहायता देने से इनकार कर दिया. महाधिवक्ता कार्यालय के मुताबिक कोर्ट ने आरके दुबे से जांच में सहयोग करने को कहा है. साथ ही उसने ईओडब्लू को भी अपनी जांच जारी रखने के निर्देश दिए हैं. सुरक्षा संबंधी मांग भी हाईकोर्ट ने ठुकरा दी है.

बहरहाल मामला अब बेहद गंभीर हो चला है. मामले में एक तरफ राज्य सरकार है तो दूसरी तरफ ईओडब्लू के समक्ष वही आरोपी आईपीएस अफसर है जो कभी ईओडब्लू को निर्देशित करते थे. साथ ही साथ टीआई आरके दुबे भी एक पक्ष हैं जिन्होंने पहले ईओडब्लू को आईपीएस मुकेश गुप्ता-आईपीएस रजनेश सिंह के खिलाफ बयान दिया और उसके बाद अपनी जान को खतरा बताते हुए कोर्ट का सहारा लेने की कोशिश की.

अब चूंकि हाईकोर्ट ने ईओडब्लू को निर्देशित किया है कि वह अपनी जांच जारी रख सकती है. इस कारण आने वाला समय आईपीएस मुकेश गुप्ता व आईपीएस रजनेश सिंह के लिए चौतरफा परेशानियों वाला रहेगा.

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