नेशन अलर्ट एक्सक्लूसिव : अंतागढ़ टेपकांड में फंस सकते हैं आईएएस-आईपीएस

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नेशन अलर्ट, 97706-56789.
रायपुर.

अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की कथित तौर पर खरीद फरोख्त के मामले में कुछ ताकतवर आईएएस-आईपीएस भी शामिल थे. जैसे-जैसे एसआईटी की जांच आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे इन अफसरों पर गाज गिरने की आशंका जताई जाने लगी है.

कांग्रेस सरकार अंतागढ़ टेपकांड की जांच को लेकर गंभीर है. इसे बड़े पॉलिटिकल क्राईम की श्रेणी में रखा गया है. अब तक इस मामले में शामिल जो सारे नाम सामने आए हैं वह राजनीतिक व्यक्तियों के हैं. लेकिन सूत्र बताते हैं कि इसमें कुछ वो अफसर भी शामिल हैं जिनकी उन दिनों तूती बोला करती थी.

सीएम हाऊस के नजदीक थे

सूत्रों के मुताबिक, यह वह अधिकारी हैं जो कि मुख्यमंत्री के शासकीय निवास के बेहद नज़दीक हुआ करते थे. इनमें से कुछ आईएएस हैं जबकि कुछ आईपीएस अफसर हैं.

सूत्र यह भी बताते हैं कि तकरीबन 4-5 अफसर इस मामले में इन्वॉल्व रहे हैं. यदि जांच सहीं दिशा में निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ती है तो आने वाले दिनों में इन अफसरों को भी एसआईटी में बयान दर्ज कराने जाना पड़ सकता है.

हालांकि, अंतागढ़ टेपकांड बेहद पुराना है. यह मामला भाजपा सरकार के समय का है. उस समय कांग्रेस ने मंतूराम पवार को विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया था. मंतूराम ने नाम वापसी के अंतिम क्षणों में अपना नामांकन वापस लेकर चौंका दिया था.

कांग्रेस के पास निर्दलीय प्रत्याशी का समर्थन करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था. चूंकि कांग्रेस मैदान में नहीं थी इस कारण भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग ने विजयश्री हासिल की थी.

तब से कांग्रेस समय समय पर इस मामले को जांच के लिए भेजे जाने की मांग करती रही थी. लेकिन चूंकि भाजपा सरकार उस समय थी इसके चलते मामले में कोई खास प्रगति नहीं हुई.

अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. तो कांग्रेस ने अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव की जांच कराने का फैसला लेकर मामले को एसआईटी को सौंप दिया है. एसआईटी के समक्ष आज दिनांक तक फिरोज सिद्दिकी व मंतूराम पवार पूछताछ के लिए पहुंच चुके हैं.

हालांकि अब तक अमीन मेमन ने एसआईटी में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है. उन्हें शुक्रवार को बुलाया गया था लेकिन वे पहुंच नहीं पाए थे. अब अमीन के बयान के बाद एसआईटी उन नेताओं से भी पूछताछ करत सकती है जिनके नाम इस मामले में अब तक लोगों के सामने आते रहे हैं.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल इस बात का है कि क्या वाकई अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव की कथिततौर पर खरीद फरोख्त में आईएएस-आईपीएस अफसर भी शामिल थे? क्या उनसे भी एसआईटी पूछताछ करने का निर्णय ले पाएगी?

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