कल्लूरी पर निर्णय के लिए सरकार ने मांगा तीन महिने का वक्त

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रायपुर.

आईपीएस एसआरपी कल्लूरी को लेकर मचा द्वंद गाहे-बेगाहे सामने आ ही जाता है. छत्तीसगढ़ में पत्रकार और सुरक्षा कानून बनाने के लिए आंदोलन चलाने वाले बस्तर के पत्रकार कमल शुक्ला ने शिवराम प्रसाद कल्लूरी को हटाए जाने की मांग को लेकर राजधानी रायपुर में मंगलवार से आमरण अनशन शुरू कर दिया था. हालांकि बुधवार को उन्होंने सरकार के प्रतिनिधियों से चर्चा के बाद स्थगित समाप्त भी कर दिया.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा व मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग आज आमरण अनशन कर रहे पत्रकार कमल शुक्ला से मिलने पहुंचे. शुक्ला मंगलवार से राजधानी में आईपीएस एसआरपी कल्लूरी के खिलाफ अनशन पर बैठे थे.

पत्रकार शुक्ला ने कहा कि, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आदिवासियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को प्रताड़ित करने की गंभीर शिकायतों के बाद कल्लूरी को बस्तर से हटा कर पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया था. उनकी गिरफ्तारी की मांग करने वाली कांग्रेस जब सत्ता में आई तो कल्लूरी को इतने महत्वपूर्ण दायित्व सौंप दिए गए हैं. इस फैसले को समझ पाना मुश्किल हो रहा है.

उन्होंने नेशन अलर्ट से बातचीत में बताया कि सरकार के प्रतिनिधियों ने कार्रवाई के लिए तीन महिने का वक्त मांगा है. शायद ऐसा इसलिए भी क्यूंकि ईओडब्लू-एंटीकरप्शन ब्यूरो में आईपीएस कल्लूरी की तैनाती के बाद उन्हें नान घोटाले की एसआईटी की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इस जांच के लिए तीन महिने की मियाद तय की गई है. संभवतः इसके बाद कल्लूरी के मामले पर सरकार कोई नया फैसला लेगी.

वहीं कल्लूरी की पदस्थापना को लेकर शुक्ला का पक्ष है कि शुक्ला ने कहा, सुरक्षाबलों के कारण बस्तर के अंदरुनी इलाकों में अभी भी पत्रकारों का प्रवेश संभव नहीं है.

उन्होंने कहा, शिवराम प्रसाद कल्लूरी को ऐसी जिम्मेदारी सौंपी गई है जिससे वो और ताकतवर हो गए हैं. वे राज्य के तमाम नौकरशाह, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकारों पर बदले की भावना से कार्रवाई कर सकते हैं. ऐसे में उन्हें तत्काल पद से हटाया जाना जरूरी है.

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