जब महिला को हुई परेशानी को लेकर “सुदामा” पर बरस पडे़ कृष्ण भक्त एएसपी

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दुर्ग.

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्‌। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥ गीता के इस श्लोक के शुरु के दो शब्दों को छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपना आदर्श वाक्य बनाया है जिसका अर्थ साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए. लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यशैली ठीक इसके विपरीत ही नजर आती है. आए दिन पुलिस अधिकारियों और जवानों द्वारा किया गया चाहे व्यवहार हो या फिर कार्य इस आदर्श वाक्य को अपमानित करता नजर आता है.

ताजा मामला दुर्ग जिले का है यहां कलेक्ट्रेट के सायकल स्टैण्ड में काम करने वाले एक ठेका कर्मचारी पर रौब जमाते हुए एडिशनल एसपी ने लात जूतों से जमकर पिटाई कर दी.

दरअसल प्रशासन द्वारा कलेक्ट्रेट में सायकल-गाड़ी स्टैण्ड का ठेका दिया गया है. ठेकेदार बहुत कम ही स्टैण्ड में आता है, साल दर साल ठेका बदलते रहा, ठेकेदार भी बदलते रहे लेकिन इन कर्मचारियों को किसी ने काम से नहीं हटाया. इसकी वजह स्टैण्ड का सारा जिम्मा यहां काम करने वाले कर्मचारियों के ऊपर ही है.

स्टैण्ड में आने वाले बेतरतीब वाहनों को करीने से लगाने के साथ ही सभी वाहनों की सुरक्षा भी इनके ही जिम्मे है. यहां मजबूर, गरीब असहाय से लेकर करोड़पति और रुतबे वाले लोग भी एसपी कलेक्टर से मुलाकात करने आते हैं. अधिकतर लोग इन गरीब कर्मचारियों पर अपना रौब भी जमाते हैं अपनी पहुंच का हवाला देते हैं सिर्फ 5 रुपये की स्टैण्ड का शुल्क पटाने से बचने के लिए.

लेकिन मंगलवार को यहां काम करने वाले गरीब ठेका कर्मचारी नरेन्द्र कुमार वर्मा के साथ जमकर मारपीट की गई. मारपीट करने वाला और कोई नहीं बल्कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर(एएसपी) विजय पाण्डेय हैं.

दबंगई दिखाते हुए एएसपी साहब ने ना सिर्फ गरीब निहत्थे ठेका कर्मचारी की लात जूतों से पिटाई की बल्कि वहां मौजूद पुलिस कर्मियों को उसे सबक सिखाने थाना भेज दिया गया. जहां उसके खिलाफ शांति भंग करने की धारा 151 के तहत कार्रवाई की. ठेका कर्मचारी नरेन्द्र कुमार वर्मा का जुर्म सिर्फ इतना है कि एक महिला अपनी निजी कार में कलेक्ट्रेट पहुंची. जहां उसने पार्किंग में अपनी कार खड़ा कर दी. कार निजी थी और महिला भी सिविल ड्रेस में थी, कर्मचारी ने पर्ची काटकर उसे दे दिया और निर्धारित पैसा उससे ले लिया.

बताया जा रहा है कि महिला चुनाव ड्यूटी में पहुंची थी और उसने एएसपी साहब से स्टैण्ड में पैसा लेने की मौखिक शिकायत कर दी.

शिकायत के बाद एएसपी विजय पाण्डेय तमतमाए हुए स्टैण्ड के पास पहुंचे और कर्मचारी को तलब कर उसे धमकाने लगे और उसने पार्किंग का 10 रुपए का शुल्क महिला से लिया था उसे लौटाने के लिए कहा. कर्मचारी ने महिला को 10 रुपए लौटा भी दिया.

जिसके बाद एडिशनल एसपी ने अपनी दबंगई और खाकी का रौब दिखाते हुए कर्मचारी को लात-जूते से जमकर पिटाई कर दी. एडिशनल एसपी की दबंगई की फोटो कुछ लोगों ने अपने मोबाइल में कैद कर ली. इस बाबत पत्रकारों ने एएसपी विजय पाण्डेय से पूछा तो उन्होंने कहा कि कर्मचारी महिलाओं से दुर्व्यवहार करता है.

वहीं जब इस ठेका कर्मचारी से मीडिया ने पूछताछ किया तो उसने अपनी आप बीती बताई और दुर्व्यवहार से इंकार किया है. इस पूरे मामले में जब एसपी संजीव शुक्ला से बात की गई तो अपने अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय एसपी ने कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया.

उधर बड़ी संख्या में पत्रकार प्रतिदिन कलेक्ट्रेट आते जाते रहते हैं उनका कहना है कि जिस कर्मचारी के साथ मारपीट की गई है, उसके खिलाफ आजतक कोई शिकायत किसी से सुनने को नहीं मिली. हर रोज सब यहीं खड़े रहते हैं और उसे काम करते देखा है.

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