राजनांदगांव में पुतला दहन की राजनीति और कांग्रेस-भाजपा की तकरार कहां तक जायेगी… दूसरी बार दोनों प्रदर्शन के बहाने आमने-सामने

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राजनांदगांव | nationalert.in

पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन मुख्‍यालय में पुतला दहन की राजनीति ने जोर पकड़ा है। रविवार, 20 मार्च को भाजपा पार्षद दल ने सड़क, सफाई, पेयजल के मुद्दे को लेकर लखोली इलाके में महापौर हेमा देशमुख का पुतला दहन किया। यह कार्यक्रम 4 बजे का था।

इससे पहले ही युवा कांग्रेस ने मानव मंदिर चौक में विधायक डॉ. रमन सिंह पर लापता होने और निर्वाचन क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए उनका पुतला दहन किया। यह दोनों ही विरोध प्रदर्शन लगभग एक ही समय में हुए।

भाजपा पार्षद दल के साथ संगठन ने लखोली में महापौर का पुतला दहन किया।

कांग्रेस और भाजपा दो सप्‍ताह से ऐसे प्रदर्शनों के साथ आमने-सामने आ रहे हैं। पिछले सप्‍ताह रविवार को ही जब भाजपा ने सड़क, सफाई और पेयजल के मुद्दों को लेकर महापौर के घरेलु वार्ड में उनका पुतला फूंका तो कांग्रेस ने महंगाई के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सांसद कार्यालय का घेराव कर दिया था।

बीते दो सप्‍ताह से पुतला दहन की राजनीति में जोर आया है। अपने-अपने मुद्दों को लेकर प्रदर्शन जारी है। चुनावी वर्ष में  इन प्रदर्शनों की महत्‍वता जनता भी परख रही है। दूसरी ओर पार्टी के आला नेताओं की भी निगाहें इस पर जमी हुई है।

पुतला दहन की राजनीति में भाजपा के खिलाफ महापौर हेमा देशमुख के गुट ने मोर्चा संभाला हुआ है। तो दूसरी ओर निगम के नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु अपने संगठन और वरिष्‍ठ नेताओं के साथ खड़े हुए हैं।

यह पहला मौका है जब दोनों ही राजनीतिक दल स्‍थानीय स्‍तर पर आमने सामने हैं और दोनों ही के प्रदर्शनों में उग्रता दिख रही है। अक्‍सर स्‍थानीय मुद्दों को लेकर कई एक दल सड़क पर उतरता है लेकिन महापौर हेमा देशमुख के गुट ने यहां दूसरी ही तस्‍वीर पेश की है।

इधर, मानव मंदिर चौक में युवा कांग्रेस ने डॉ रमन सिंह को निशाने पर लेते हुए उनका पुतला फूंका।

बहरहाल, दोनों दलों के बीच छिड़ी पुतला दहन राजनीति का यह दौर भी हफ्ते दर हफ्ते गहराने के आसार हैं। लेकिन सवाल मौजू है कि आखिर इस प्रदर्शन की राजनीति का कितना असर सुधारों पर पड़ता है।

शहर में मूलभूत सुविधाओं को लेकर समस्‍याएं हैं यह तो स्‍पष्‍ट है। बावजूद प्रदर्शनों के बाद भी निगम अमला या जनप्रतिनिधि उन इलाकों के दौरे और निरीक्षण की हिम्‍मम नहीं जुटा पा रहे हैं। न ही समस्‍याओं के निराकरण के लिए ठोस जवाब देकर उन्‍हें चुप्‍प करा पा रहे हैं।

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