पत्रकारिता विवि : घर में नहीं दाने, बुढि़या चली भुनाने

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नेशन अलर्ट/रायपुर.

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्‍वविद्यालय काठाडीह रायपुर एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार इसकी चर्चा इसलिए हो रही है क्‍यूंकि इसकी कार्य परिषद में मुख्‍यमंत्री द्वारा सदस्‍य मनोनित किए गए राजकुमार सोनी ने इसके कुलपति को जो पत्र लिखा है वह घर में नहीं दाने, बुढि़या चली भुनाने को सच साबित करता प्रतीत हो रहा है।

उल्‍लेखनीय है कि सोनी को अभी हाल ही में मुख्‍यमंत्री की ओर से पत्रकारिता विश्‍वविद्यालय की परिषद में सदस्‍य मनोनित किया गया था। अपने मनोनयन के बाद सोनी ने गत 8 सितंबर को एक तीन पन्‍नों का पत्र इसके कुलपति बल्‍देव भाई शर्मा को लिखा है। पत्र में जो बातें लिखी गई है उन बातों के संदर्भ में पढ़कर विश्‍वविद्यालय की झूठा दिखावा करने की प्रवृत्ति उजागर होती नजर आ रही है।

क्‍या लिखा है सोनी ने

सोनी ने अपने पत्र में लिखा है कि उनकी जानकारी में विश्‍वविद्यालय में चल रही गड़बडि़यों, दुविधाओं और समस्‍याओं के संदर्भ में कई बातें उनके संज्ञान में लाई गई है। उन्‍होंने कुलपति को लिखे पत्र में सारी जानकारी का उल्‍लेख करते हुए लिखा है कि वह विश्‍वविद्यालय के शैक्षणिक भवन, प्रशासनिक भवन, छात्रावास सहित पूरे परिसर का निरीक्षण करना चाहते हैं।

सहायक प्राध्‍यापक (प्रबंधन) अभिषेक दुबे के संदर्भ में उन्‍होंने लिखा है कि वह गत 6 साल से राज्‍य प्रशासनिक अकादमी में ही पदस्‍थ हैं। अब तक उनकी वापसी नहीं हो पाई है। दो भृत्‍य टीकमलाल साहू और सतीश कुमार भी कहीं और तैनात बताए गए हैं। अनियमित कर्मचारी सौमित्र मुखर्जी राष्‍ट्रीय उच्‍चतर अभियान में संलग्‍न कर दिए गए हैं।

नियमित शिक्षकों की कमीं का उल्‍लेख करते हुए पुराने पत्रकार सोनी पत्र में आगे लिखते हैं कि इस स्थिति में विश्‍वविद्यालय में पढ़ाई लिखाई की दशा कैसे अच्‍छी हो सकती है यह सोचा जा सकता है। प्रबंधन विभाग की दय‍नीय हालत का भी उल्‍लेख सोनी ने अपने पत्र में किया है। साथ ही उन्‍होंने लिखा है कि नियमित शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वह किए गए प्रयासों से अवगत होना चाहते हैं।

यूजीसी का उल्‍लेख करते हुए सोनी ने पत्र में लिखा है कि कम से कम 7 नियमित अध्‍यापक तो होने ही चाहिए। विश्‍वविद्यालय में नियुक्‍त किए गए कुछ प्राध्‍यापकों की नियुक्ति के दस्‍तावेजों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसी तरह विभागीय अध्‍यक्ष का दायित्‍व संभाल रहे प्राध्‍यापकों के बहुत कम कक्षा लेने की ओर भी उन्‍होंने कुलपति का ध्‍यान आकृष्‍ट किया है।

बिना छुट्टी के गायब रहते हैं

सोनी ने अपने पत्र में विभागीय अध्‍यक्ष का दायित्‍व संभालने वाले प्राध्‍यापकों के बगैर छट्टी लिए गायब रहने का सनसनीखेज आरोप भी मढ़ा है। इसे स्‍पष्‍ट करते हुए वे बताते हैं कि एक ओर तो वे वोकेश्‍नल सर्विस का लाभ उठाते हुए ग्रीष्‍म अवकाश व अन्‍य अवकाशों का लाभ उठाते हैं तो दूसरी ओर शनिवार को प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने वाले अवकाश भी लेते हैं। इस तरह से पढ़ाई लिखाई का पूरा जिम्‍मा अनियमित शिक्षकों को उठाना पड़ रहा है।

अनियमित शिक्षकों की बात के बाद उन्‍होंने अतिथि प्राध्‍यापकों के वेतन की ओर भी कुलपति का ध्‍यान आकृष्‍ट करवाया है। सोनी ने अपने पत्र में लिखा है कि उच्‍च शिक्षा विभाग के आदेश के बावजूद विश्‍वविद्यालय में अपनी सेवा दे रहे अति‍थि प्राध्‍यापकों को कम वेतन दिया जा रहा है। यह बात उनकी जानकारी में लाई गई है।

राष्‍ट्रीय उच्‍चतर शिक्षा अभियान (रूसा) का उल्‍लेख करते हुए सोनी ने वर्ष 2015 में विश्‍वविद्यालय को मिले 20 करोड़ रूपए का उल्‍लेख अपने पत्र में किया है। इस राशि का तीन हिस्‍सों में विभाजन कर उपयोग किया जाना था जबकि विश्‍वविद्यालय ने छत्‍तीसगढ़ परियोजना कार्यालय के आदेश पर पहली किश्‍त में मिली समूची राशि को निर्माणकार्य के लिए लोक निर्माण विभाग के खाते में जमा कर दिया। इसे वह गलत मानते हैं।

सोनी ने इस राशि का किस तरह से उपयोग किया जाना है इसके संदर्भ में लिखा है कि नवीन निर्माण पर 35 फीसद राशि खर्च होनी चाहिए थी। पुनर्निर्माण पर शेष 35 फीसद राशि और उपकरण खरीदी पर बाकी की 30 फीसद राशि के खर्च का प्रावधान है। इस हिसाब से देखा जाए तो विश्‍वविद्यालय को मिले 20 करोड़ में से 7 करोड़ रूपए नवीन निर्माण पर खर्च होने थे। रिनोवेशन पर 7 करोड़ रूपए और उपकरण खरीदने पर 6 करोड़ रूपए मिलाकर 20 करोड़ का खर्च प्रस्‍तावित था लेकिन विश्‍वविद्यालय ने पीडब्‍ल्‍यूडी के खाते में सीधे निर्माण कार्य के लिए पूरी राशि जमा कर दी।

औचित्‍यहीन प्रस्‍ताव

सोनी द्वारा लिखा गया यह पत्र आने वाले दिनों में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्‍वविद्यालय काठाडीह रायपुर को विवादों से घेर सकता है। सोनी ने अपने पत्र में लिखा है कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने 700 सीटर ऑडिटोरियम के निर्माण का जो प्रपोजल राज्‍य परियोजना कार्यालय को भेजा था वह एक तरह से औचित्‍यहीन था।
विश्‍वविद्यालय की बहुत सी दूसरी जरूरतें जैसे कि बड़े स्‍मार्ट क्‍लासरूम, लैक्‍चर हॉल, गर्ल्‍स हॉस्‍टल, वीसी बंग्‍ला, रजिस्‍ट्रार बंग्‍ला, खेल मैदान, स्‍टेडियम, अलग अलग फैकल्टिस के लिए पृथक भवन का निर्माण कराया जाना ज्‍यादा जरूरी है जबकि इसे नजरअंदाज करके 7 करोड़ की राशि से एक ऐसे ऑडिटोरियम का निर्माण जरूरी समझा गया जिसका विश्‍वविद्यालय के लिए कोई उपयोग नहीं था।
7 करोड़ में ऑडिटोरियम का केवल भवन बनना था। भवन के अंदर एकॉस्टिक्‍स, फ्लोरिंग, सीटिंग अरेंजमेंट, रूफिंग, पीओपी, बिजली जैसे कार्यों पर अलग से पांच करोड़ रूपए की अतिरिक्‍त राशि की जरूरत थी जिसके बारे में विश्‍वविद्यालय के पास कोई योजना ही नहीं थी। सोनी ने इस पर भी आश्‍चर्य जताया है कि पूरी तत्‍परता के साथ प्रस्‍ताव तैयार कर क्षेत्रीय कार्यालय रूसा के सामने प्रस्‍तुत कर दिया गया।

कुलपति को लिखे पत्र में सोनी ने उल्‍लेख किया है कि जिस तत्‍परता के साथ कार्यालय ने विश्‍वविद्यालय से प्राप्‍त प्रस्‍ताव को अनुमोदित कर बनाने की स्‍वीकृति दी, पीडब्‍ल्‍यूडी ने उसी तत्‍परता के साथ उसकी निविदा आमंत्रित की। ठेकेदार ने भी जिस तत्‍परता के साथ काम लिया उसे भी लेकर कई तरह की बातें कही जाती रही है।

उक्‍त कथित खोखले भवन का उल्‍लेख करते हुए सोनी ने लिखा है कि विश्‍वविद्यालय प्रशासनिक भवन के ठीक पीछे खड़ा यह भुतहा स्‍ट्रक्‍चर मुंह चिढ़ा रहा है। धीरे धीरे यह जर्जर होने की ओर बढ़ रहा है। ऐसा क्‍यूंकर हुआ यह जानने समझने के बाद सोनी ने अपने पत्र में लिखा है कि इसके भीतर के कंस्‍ट्रक्‍सन की राशि का कहीं पता नहीं है। एक तरह से विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने नवीन निर्माण के लिए रूसा से मिले 7 करोड़ रूपए बर्बाद कर दिए।

इसके लिए किसकी जिम्‍मेदारी तय की जाएगी ? क्‍या विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने किसी को दोषी माना है ? क्‍या अब तक किसी के खिलाफ कोई एफआईआर की गई है ? इस तरह के सवाल करने साथ सोनी ने रूसा के अंतर्गत रिनोवेशन कामों को लेकर भी कई बातों का उल्‍लेख किया है। विश्‍वविद्यालय का भवन जो बिल्‍कुल नया ही था उसके नए टाइल्‍स को निकालकर उनकी जगह मोजाइक, ग्रेनाइट और संगमरमर लगाने का प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत किया गया।

बिना किसी तरह की समीक्षा के इस प्रस्‍ताव का अनुमोदन रूसा कार्यालय द्वारा भी कर दिया गया। रिनोवेशन का कार्य जिस ठेकेदार ने किया उसने विश्‍वविद्यालय में तोड़फोड़ कर बहुत सारे उपकरण इत्‍यादि तहस नहस कर दिए। रिनोवेशन के कार्य को बहुत ही निम्‍न कोटि का बताते हुए सोनी ने लिखा है कि विश्‍वविद्यालय द्वारा जो प्रस्‍ताव बनवाए गए उसके तहत विश्‍वविद्यालय के भवन की साज सज्‍जा में ही करोड़ों रूपए खर्च किए गए।

अपनी जानकारी में लाई गई बात का उल्‍लेख करते हुए सोनी ने लिखा है कि उपकरण खरीदी के लिए जो 6 करोड़ निर्धारित थे उसके लिए तत्‍कालीन प्रशासन ने बिना विभागों से प्रस्‍ताव मंगाए अपनी मनमर्जी से बहुत अधिक कीमत के कैमरे और अन्‍य उपकरण खरीदने का प्रस्‍ताव भेजा था। इस प्रस्‍ताव में लगभग 3 करोड़ रूपए का प्रस्‍ताव तो 65 एकड़ में फैले विश्‍वविद्यालय के पूरे परिसर में सोलर पैनल लगाए जाने का था।

इन प्रस्‍तावों में इस हद तक की खामियां थी कि खुद विश्‍वविद्यालय के विभागाध्‍यक्षों ने ऐसी चीजें जो बिना उनके परामर्श के मंगाई गई थी खरीदे जाने पर स्‍वीकार करने से इंकार कर दिया। तब से लेकर आज दिनांक तक एक रूपए की भी उपकरण खरीदी विश्‍वविद्यालय नहीं कर पाया है। विश्‍वविद्यालय के सारे कंप्‍यूटर, फर्नीचर और दीगर उपकरण के 10-12 साल पुराने होने का उल्‍लेख करते हुए सोनी ने विश्‍वविद्यालय को उपकरणों के अभाव से ग्रस्‍त बताया है।
विश्‍वविद्यालय में वाईफाई की सुविधा का उल्‍लेख करते हुए सोनी ने अपने पत्र में नेटवर्क के अभाव के चलते इसके उपयोग को सीमित बताया है। ग्रंथालय में नवाचार और नवविचार को बढ़ावा देने वाली पुस्‍तकें भी उपलब्‍ध नहीं होने का उल्‍लेख करने वाले सोनी लिखते हैं कि छात्रों के सृजनात्‍मक लेखन को बढ़ावा देने के लिए कोई मासिक पत्रिका का प्रकाशन विश्‍वविद्यालय से नहीं होता।

इस वर्ष 10 मार्च को आयोजित विश्‍वविद्यालय पीएचडी प्रवेश परीक्षा का उल्‍लेख करते हुए सोनी ने अपने पत्र में लिखा है कि यूजीसी के नवीनतम अध्‍यादेश के अनुसार बिना पीएचडी किए किसी की नियुक्ति प्राध्‍यापक पद पर नहीं हो सकती है। कुशाभाऊ ठाकरे विश्‍वविद्यालय में इसका ठीक उलट होने का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने लिखा है कि परीक्षा का आयोजन गोपनीय विभाग से कराने के स्‍थान पर इसे जन संचार विभाग के विभागाध्‍यक्ष को सुपूर्द कर दिया गया जो कि गलत है।

विश्‍वविद्यालय के इतिहास में पहली बार किसी एक व्‍यक्ति ने पीएचडी की परीक्षा के प्रश्‍नपत्र सेट करने से लेकर आयोजन, कापियां बंटवाना, जंचवाना, परिणाम घोषित करना, पंजीयन करना, रिसर्च पीएचडी करवाना जैसे कार्य किए होंगे। ऐसी स्थिति में निष्‍पक्षता की कैसे उम्‍मीद की जा सकती है। सोनी ने इन सभी बिंदुओं की ओर ध्‍यान आकृष्‍ट कराते हुए कुल‍पति को लिखा है कि इन जैसे बहुत सारे विषयों पर चर्चा के लिए शीघ्र कार्य परिषद की बैठक बुलवाई जाए। कुलपति को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि उन्‍होंने पत्रकारिता विवि के कुल सचिव को भी प्रेषित की हैं।बहरहाल, आज दोनों सदस्यों ( सोनी और आवेश तिवारी ) ने विवि का निरीक्षण दौरा भी किया है.

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