काला धन : क्‍या वाकई 30 हजार 5 सौ करोड़ स्विस बैंकों में जमा है ?

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नेशन अलर्ट/रायपुर.

जिस काले धन की बात कर नरेंद्र मोदी 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए थे वही काला धन देश में लगातार बढ़ रहा है। इसे 14 वर्षों के उच्‍चतर स्‍तर पर बताया जाने लगा है। स्विस बैंकों में भारतीयों का जमा रूपया 30 हजार 5 सौ करोड़ बताया जाता है। क्‍या वाकई इतना रूपया जमा है ? क्‍या वाकई काला धन देश से खत्‍म नहीं हो रहा है बल्कि बढ़ रहा है ?

बहरहाल, यहां बात जिस काले धन की हो रही है और उससे जुड़े जो आंकड़े प्रस्‍तुत किए गए हैं वह नेशन अलर्ट की खोज नहीं है बल्कि यह जन संस्‍कृति मंच के एक कार्यक्रम के लिए बांटे जा रहे कार्ड में उल्‍लेखित है। उल्‍लेखनीय है कि जन संस्‍कृति मंच का 16वां राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन इस बार राजधानी रायपुर में होने जा रहा है।

राजधानी रायपुर के जोरा इलाके में पंजाब केसरी भवन में यह आयोजन होगा। उद्घाटन सत्र अपरान्‍ह 4 बजे से शुरू होगा। आयोजन का शीर्षक फांसीवाद के खिलाफ प्रतिरोध, आजादी और लोकतंत्र की संस्‍कृति के लिए रखा गया है। आयोजन दो दिवसीय है। पहले दिन उद्घाटन सत्र के बाद सांस्‍कृतिक कार्यक्रम 6.50 से रात्रि 9 बजे तक होंगे।

दूसरे दिन 9 अक्‍टूबर दोपहर 12 बजे से विचार सत्र प्रारंभ होगा। विचार सत्र का विषय फांसीवाद के खिलाफ प्रतिरोध के रूप में रखा गया है। दूसरे दिन सांस्‍कृतिक कार्यक्रम शाम 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक होंगे। राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के लिए जन संस्‍कृति मंच ने अपनी स्‍वागत समिति भी बना ली है।

मंच की स्‍वागत समिति में राजकुमार सोनी के अलावा राजेश्‍वर सक्‍सेना, रवि श्रीवास्‍तव, हरि भटनागर, जया जादवानी, विजय गुप्‍त, देवेंद्र, आनंद हर्षुल, दिवाकर मुक्तिबोध, जयप्रकाश, आलोक वर्मा, साधना रहटगांवकर, डॉ. राकेश गुप्‍ता, विनय शील, ईश्‍वर सिंह, महेश वर्मा, अरूणकांत शुक्‍ला, मिनहाज असद, फैजल रिजवी, लोक बाबू, जितेंद्र गढ़वी, पीसी रत, मुमताज, प्रदीप यदु, नरेश कुमार, आशीष रंगनाथ व सुधीर शर्मा जैसे लब्‍ध प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं।

आदर्शों से स्‍पंदित हो

आयोजन की जानकारी देते हुए सोनी कहते हैं कि आज देश को एक ऐसे प्रबल सांस्‍कृतिक-सामाजिक आंदोलन की जरूरत है जो जन साधारण को उनकी अपनी ही यातना और हमारे देश के ऊपर टूट रही महाविपत्ति के बारे में जागरूक कर सके। जो एक तरफ तो लोगों को उनके वास्‍तविक दुखों के प्रति सचेत कर सके और दूसरी तरफ उन्‍हें राष्‍ट्रीय पुनर्निमाण के महान प्रयत्‍न के साथ एक जुट कर सके।

सोनी इसके लिए एक ऐसे महान राष्‍ट्र के सपने को जीवित करने की जरूरत बताते हैं जो कि बुद्ध, कबीर, अंदाल, मीरा, मोइनुद्दीन चिश्‍ती, अंबेडकर, पेरियार, गांधी, भगत सिंह, प्रेमचंद और फैज अहमद फैज के सत्‍य, न्‍याय, क्रांति‍और प्रीति के आदर्शों से स्‍पंदित हो। निरंकुश निजीकरण पर रोक तथा शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्रों के संपूर्ण राष्‍ट्रीयकरण के बिना इस सपने के पूरा होने की किसी तरह की उम्‍मीद राजकुमार नहीं देखते हैं।

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