देश एक बड़ी मंदी के दलदल में फंस गया है

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रायपुर.

केंद्र की मोदी सरकार की कथित जन विरोधी नीतियों का विरोध तेज हो गया है. आज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर पर राजनांदगांव, कोरबा, भिलाई, रायपुर, बिलासपुर सहित कई गांवों और शहरों के मोहल्लों में आज विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए.

उल्लेखनीय है कि माकपा पोलिट ब्यूरो ने कोरोना संकट से निपटने के लिए आम जनता को मुफ्त खाद्यान्न और नगद धनराशि से मदद करने, गांवों में मनरेगा का दायरा बढ़ाने की मांग की थी.

इसके अलावे शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने, बेरोजगारों को भत्ता देने और आम जनता के मौलिक अधिकारों की गारंटी करने की मांग पर देशव्यापी अभियान चलाने का आह्वान किया था.आज इस अभियान के अंतिम दिन था.

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निजीकरण के चलते मोदी सरकार कोरोना महामारी पर काबू पाने में विफल रही है. इसके ऊपर से देश पर जो अनियोजित और अविचारपूर्ण लॉक डाउन थोपा गया, उसके कारण करोड़ों लोगों की आजीविका नष्ट हो गई है.

पराते के मुताबिक देश एक बड़ी मंदी के दलदल में फंस गया है. इस संकट से निपटने का एक ही रास्ता है कि हमारे देश के जरूरतमंद लोगों को हर माह 10 किलो अनाज मुफ्त दिया जाये, आयकर दायरे के बाहर के सभी परिवारों को हर माह 7500 रुपयों की नगद मदद दी जाए. मनरेगा का विस्तार कर सभी ग्रामीण परिवारों के लिए 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी सुनिश्चित की जाए.

माकपा नेता ने कहा कि उपरोक्त कदम आम जनता की क्रय शक्ति बढ़ाएंगे, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और औद्यौगिक उत्पादन को गति मिलेगी. यही रास्ता देश को मंदी से बाहर निकाल सकता है लेकिन इसके बजाय, मोदी सरकार देश की संपत्ति को ही कॉरपोरेटों को बेच रही है.

उन्होंने कहा कि जिस तानाशाहीपूर्ण तरीके से मोदी सरकार ने कृषि विरोधी विधेयकों को पारित कराया है, उससे स्पष्ट है कि इस सरकार को संसदीय जनतंत्र की भी परवाह नहीं है. ये कानून देश के किसानों को बंधुआ गुलामी की ओर ले जाते है.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इन कानूनों के जरिये किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने तथा नागरिकों को राशन प्रणाली के जरिये सस्ता अनाज देने की जिम्मेदारी से छुटकारा पाना चाहती है.

माकपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार संघ-भाजपा के खिलाफ़ उठ रही हर आवाज का दमन कर रही है. वह संविधान के बुनियादी मूल्यों और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन पर तुली हुई है. लोगों में फूट डालने के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की तिकड़मबाजी में जुटी है.

वे कहते हैं कि देशभक्त नागरिकों, राजनेताओं, बुद्धिजीवियों के खिलाफ यूएपीए जैसे दमनकारी कानूनों का उपयोग कर रही है. इसके खिलाफ पूरे देश की आम जनता को एकजुट किया जाएगा.

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