अवस्थी पर मंडराने लगा शनि का साया !

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विशेष संवाददाता

रायपुर.

छत्तीसगढ़ के तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के पदोन्नति आदेश जारी होते ही राज्य के पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ) डीएम अवस्थी पर शनि का साया मंडराने लगा है. संभावना जताई जाने लगी है कि 1986 बैच के अवस्थी के स्थान पर राज्य सरकार पदोन्नत किए गए तीनों आईपीएस में से किसी को डीजीपी की चेयर पर बैठा सकती है.

उल्लेखनीय है कि सरकार ने सीनियर आईपीएस संजय पिल्ले, आरके विज, अशोक जुनेजा की पदोन्नति को हरी झंडी दे दी है. इन्हें एडीजी से डीजी पद पर पदोन्नत किए जाने का आदेश आज शाम जारी हुआ.

गुपचुप हुई डीपीसी

अमुमन देखने में यह आता है कि विभागीय पदोन्नति समिति ( डीपीसी ) की जब कभी बैठक होती है तो संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी होती है. यहां लेकिन ऐसा नहीं होने की बात सुनाई दे रही है.

बेहद गुपचुप तरीके से बीते दिनों डीपीसी की मीटिंग हुई. खबर भी तब लगी जब फाइल आर्डर जारी करने के पहले अनुमति के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजी गई. खबर लगने के अगले ही दिन शनिवार को वह आदेश भी जारी हो गया जिसका बेसब्री से इंतजार कम से कम उक्त तीनों आईपीएस को रहा होगा.

इकलौते डीजी थे डीएम

ज्ञात हो कि इन दिनों प्रदेश के इकलौते डीजी डीएम अवस्थी हुआ करते थे. दरअसल, राज्य में गत वर्ष डीजी रैंक के सर्वाधिक तीन अफसर सेवानिवृत्त हुए थे. इनमें सबसे पहले गिरधारीलाल नायक सेवानिवृत हुए थे.

नायक के बाद एएन उपाध्याय की सेवानिवृत्ति हुई. उपाध्याय भाजपा सरकार के समय तकरीबन पांच साल डीजीपी के पद पर रहे. सरकार बदली तो उपाध्याय के स्थान पर डीएम अवस्थी डीजीपी बने थे. लेकिन जैसे ही गत वर्ष आईपीएस बीके सिंह रिटायर्ड हुए तो अवस्थी प्रदेश के इकलौते डीजी रैंक के अफसर हो गए.

चूंकि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार के समय विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने वाले दिन एडीजी से डीजी पद पर पदोन्नत हुए 1988 बैच के संजय पिल्ले, आरके विज, मुकेश गुप्ता को पहले ही डिमोट करते हुए डीजी से वापस एडीजी बना दिया था. इसके बाद डीपीसी का इंतजार होते रहा.

मतलब डीएम अवस्थी के आगे पीछे कोई और पुलिस अधिकारी नहीं था. यह बात अलग है कि दिसंबर 2019 में ही केंद्र से पुन: संजय पिल्ले व आरके विज को पदोन्नत किए जाने की अनुमति मिल चुकी थी लेकिन डीपीसी अब तक लटकी रही.

बताया तो यह तक जाता है कि निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता द्वारा लिखे गए एक पत्र का हवाला देते हुए अवस्थी ने ही अब तक डीपीसी को रोके रखने में अपनी भूमिका निभाई थी. चूंकि गुप्ता निलंबन की कार्रवाई झेल रहे हैं इस कारण उनके नाम पर विचार करने के स्थान पर आईपीएस अशोक जुनेजा ( 1989 ) का नंबर लग गया.

बहरहाल, अब यह संभावना जताई जाने लगी है कि राज्य सरकार अवस्थी के स्थान पर पिल्ले, विज अथवा जुनेजा में से किसी को भी किसी भी दिन डीजीपी की कुर्सी पर बैठा सकती है. देखते हैं कि वह ” किसी भी दिन ” कब आता है.

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