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रायपुर.
सुपर सीएम का तमगा हासिल करने वाले अमन सिंह एक बार फिर सरकार के हाथ आते आते रह गए. दरअसल उनके खिलाफ जांच के लिए बनाई गई एसआईटी की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. इस मामले में तकनीकी आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.
पूर्व सीएम रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह ने जांच के लिए गठित एसआईटी के खिलाफ बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
अमन सिंह ने याचिका में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि जिस मामले में सरकार पहले ही उनको एनओसी दे दी है, उसकी दोबारा जांच कराने का कोई औचित्य नहीं है, इसलिए जांच को निरस्त किया जाए.
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने एसआईटी द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
अमन सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन अध्यक्ष और यूपीए सरकार में एडिशनल सॉलीसिटर जनरल रहे विकास सिंह ने पैरवी की.
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा कि पहले जांच हो, बाद में मामला अगर बनता है तो जुर्म दर्ज किया जाए. इसके बाद ही जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जा सकता है. मामले में अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी.
क्या है मामला?
दरअसल दिल्ली निवासी विजया मिश्रा ने अमन सिंह के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत की थी. 4 जनवरी को की गई इस शिकायत में उन्होंने तथ्य भी उपलब्ध कराए थे. इसी आधार पर उन्होंने जांच की मांग की थी.
शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में पूर्व गृहमंत्री और बीजेपी विधायक ननकीराम कंवर के उन पत्रों का भी संदर्भ दिया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री से भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों के तहत अमन कुमार सिंह के खिलाफ जांच की मांग की गई थी.
इसी मसले को लेकर 16 जनवरी को पीएमओ से मिले पत्र के आधार पर राज्य सरकार ने जांच शुरु की थी. मामला अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लू) को सौंपा गया था. सरकार ने उल्लेख किया था कि ईओडब्लू अपनी निगरानी में एसआईटी गठित कर इस मामले की जांच करे.