रायपुर।
छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक हवा इन दिनों लगता है ठीक नहीं चल रही है। प्रशासन के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है। कहीं न कहीं षडय़ंत्र की बू आ रही है। लगता है छत्तीसगढ़ का प्रशासनिक तंत्र ही षडय़ंत्रकारी हो गया है। तभी तो प्रशासन के एक महत्वपूर्ण विभाग में शह और मात का खेल चल रहा है। और तो और इस खेल में निचले स्तर के अलावा ऊपरी स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं।
क्या छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक आतंकवाद के बाद प्रशासनिक षडय़ंत्र का दौर चल रहा है? ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्यूंकि एक दूसरे को निपटने और निपटाने के क्रम में अधिकारी नियमों को भी ताक पर रखे जा रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में जो कुछ हुआ है वह आपकी नींद छिन लेगा।
यदि षडय़ंत्रकारी अधिकारियों की चलती तो एक ईमानदार चेहरा तकरीबन निपटा ही दिया गया था। उस पर न केवल गंभीर आरोप लगे बल्कि जांच भी बैठा दी गई। जांच बैठाने के क्रम में वरिष्ठ अधिकारियों ने इतना भी ख्याल नहीं रखा कि वह इस तरह की जांच बैठा भी सकते हैं कि नहीं!
शीघ्र नेशन अलर्ट बताएगा क्या है षडय़ंत्र
नेशन अलर्ट ने अपने स्तर पर मामले की जांच-पड़ताल की। उसे चौंकाने वाले तथ्य नजर आए। मामला जैसे जैसे आगे बढ़ते गया वैसे वैसे परत दर परत इसकी खुलती चली गई। वो तो भला हो उस अधिकारी का जिसने षडय़ंत्रकारी वाले मामले में भी जांच का सामना किया और इससे भी ज्यादा भला हो उस मुखिया का जिसने तुरंत तत्काल एक्शन लेने के स्थान पर जांच के नतीजों का इंतजार किया। अब जबकि परत दर परत खुल कर मामला सामने आया है तो षडय़ंत्र और किसने षडय़ंत्र किया इस पर बात होने लगी है।
आपकी अपनी पत्रिका नेशन अलर्ट ने इस मामले में काफी दिनों तक मेहनत की है। अब वह समय आ गया है कि हम उस षडय़ंत्र का उजागर करें कि जिसके चलते ऐसा ताना-बाना बुना गया कि अधिकारी किनारे कर दिया गया और षडय़ंत्रकारी मजे मारने लगे। अचानक एक ऐसी गलती क्या हुई कि मामले की परत दर परत खुलती चली गई। इस मामले में विभाग के कई बड़े अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। तो पढ़ते रहिए नेशन अलर्ट…