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रायपुर। छत्तीaसगढ़ की राजनीतिक फिजां में ऐसा क्या कुछ है कि चुनाव के ठीक पहले कोई न कोई पत्रकार प्रदेश स्तर पर चर्चा का विषय बन जाता है। फिर वह अनिल पुसदकर, विनोद वर्मा से लेकर जगत विजन पत्रिका का संपादन करने वाली भोपाल निवासी विजया पाठक ही क्यूं न हो।
दरअसल, छत्तीसगढ़ विधानसभा का चुनाव साम दाम दंड भेद से लबरेज रहता है। इसी कड़ी में वह पत्रकार राजनीतिक दलों के लिए बेहद महत्वापूर्ण हो जाते हैं जिनके तार नेताओं से लेकर उनकी पार्टियों तक से जुड़े रहते हैं।
हालांकि इनमें से कुछेक पत्रकार ऐसे भी होते हैं जो न तो नेताओं और न ही राजनीतिक दलों से जुड़े होते हैं। इनमें कमल शुक्ला जैसे पत्रकारों का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।
कमल शुक्ला ने पिछले विधानसभा चुनाव के समय बस्तर और आईपीएस एसआरपी कल्लूेरी को लेकर कड़ा रूख अपनाया हुआ था। पिछली मर्तबा खासकर बस्तर जोन में कमल शुक्ला की पत्रकारिता हवा रूख बदलती सी महसूस हुई थी। लेकिन दुर्भाग्य देखिए कांग्रेस की सरकार बनते ही एक तरह से शुक्ला और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे रद्दी की टोकरी में जैसे डाल दिए गए हों।
भाजपा-कांग्रेस के बाद अब किसका फायदा
बहरहाल, भाजपा-कांग्रेस के बाद पत्रकारों से अब कौन सा राजनीतिक दल और कौन सा नेता फायदा उठाने जा रहा है इसे लेकर भी सवाल जवाब होने लगे हैं। पहले अनिल पुसदकर के टेपकांड का फायदा भाजपा ने उठाया था।
तब 2003 के विधानसभा चुनाव हुए थे। उस समय के मुख्यहमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी भाजपा को तोड़ने की फिराक में थे और इस रहस्य पर से पर्दा उस समय जनसत्ता जैसे अखबार से जुड़े रहे अनिल पुसदकर ने पूरी दमदारी से उठाया था।
एक तरह से अनिल ने अजीत के खेल को चौपट कर दिया था। पुसदकर की पहल के ही बाद दिल्ली से भाजपा के दिग्गज नेता अरूण जेटली रायपुर आए थे।
उन्होंने पत्रकार वार्ता लेकर तत्कालीन मुख्य मंत्री अजीत जोगी पर तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया था। अंतत: जोगी के मंसुबे फेल हो गए थे।
दूसरी मर्तबा किसी पत्रकार ने यदि हवा का रूख बदला था तो वह नाम विनोद वर्मा का था। विनोद वर्मा बीबीसी इंडिया के पत्रकार रह चुके हैं। एडिटर्स गिल्डे के भी वह मेंबर रहे हैं। विनोद वर्मा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का मार्ग प्रशस्त किया था।
विनोद काफी समय से सक्रिय पत्रकारिता के स्थान पर कांग्रेस के बूथ प्रशिक्षण विभाग के एक तरह से कर्ताधर्ता कहे जा सकते हैं। उन्होंने गांव गांव गली गली घुमकर कांग्रेस और उसके बूथों को इतना मजबूत किया था कि छत्तीसगढ़ में 15 साल सत्ता में रही भाजपा 2018 में 15 सीटों पर सिमट गई थी।
तब विनोद वर्मा विवादों में भी घिरे थे। लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन मंत्री राजेश मुणत से जुड़े कथित सेक्स सीडी कांड में विनोद वर्मा का नाम बड़ी तेजी से सुनाई दिया था। और तो और आईपीएस अशोक जुनेजा के नेतृत्व में चली जांच में तब विनोद वर्मा को गिरफ्तार किया गया था।
अब इस बार विजया पाठक का नाम चर्चा में सुनाई दे रहा है। दरअसल, विजया पाठक का नाम लोगों की जुबां पर तब चर्चा में आया जब स्वयं विनोद वर्मा ने ईडी की एक कार्यवाही के बाद पत्रकार वार्ता की और उनके द्वारा संपादित पत्रिका जगत विजन की कॉपी लहराई।
विजया पाठक को भोपाल निवासी बताया जाता है। उन्होंने पिछले साल अपनी पत्रिका के अक्टूबर के अंक में ‘क्या छत्तीसगढ़ सरकार के संरक्षण में चल रहा है प्रदेश में ऑनलाइन सट्टा ?’ शीर्षक से खबर का प्रकाशन किया था। इस पर ईडी की भी कार्यवाही प्रदेश में चल रही है।
ईडी के निशाने पर आए चंद्रभूषण वर्मा और विनोद वर्मा की संलिप्तता पर यह खबर बहुत कुछ इशारा कर गई थी। 24 अगस्त को अपने कुछ साथियों के साथ विनोद वर्मा ने रायपुर में एक प्रेस वार्ता ली थी। इस पर श्रीमति पाठक की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष सहित गांधी परिवार के तीनों प्रभावी व्यक्तियों को एक पत्र लिखा गया है।
पाठक ने ईडी की कार्यवाही में अपने अथवा अपनी पत्रिका के नाम को जोड़ने को हास्यानस्प्द बताया है। उन्होंने कांग्रेस के उक्त वरिष्ठ् नेताओं से समय की भी मांग की है ताकि वह उन्हें एक ज्ञापन सौंप सके। पाठक कहती हैं कि कुटरचना कर उनके नाम का दुरूपयोग किया जा रहा है।