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छुरिया। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने जो पहली सूची जारी की है उसमें खुज्जी का भी नाम शामिल है। तीन मर्तबा इस सीट को हारने वाली भाजपा क्या यहां से एक बार फिर अपना परचम लहराएगी ? दरअसल यह सवाल इसलिए गंभीर हो जाता है कि भाजपा के लिए यह सीट जीतते रहे रजिंदरपाल सिंह भाटिया अब भले ही संसार में नहीं हैं लेकिन उनके समर्थक आज भी विधानसभा क्षेत्र में मौजूद हैं।
स्व. रजिंदरपाल सिंह भाटिया ने अविभाजित मध्यप्रदेश के समय राजनीति प्रारंभ की थी। उन्होंने 1993 व 1998 में खुज्जी विधानसभा सीट से विजयश्री अर्जित की थी। 2000 के आते आते छत्तीसगढ़ के रूप में नया राज्य अस्तित्व में आ गया था।
2003 का विधानसभा चुनाव छग का प्रथम चुनाव था। खुज्जी विधानसभा सीट से 45409 वोट अर्जित कर रजिंदरपाल सिंह भाटिया ने एक बार फिर जीत हासिल की थी। तब छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह की सरकार में उन्हें कुछ समय के लिए मंत्री पद से भी नवाजा गया था।
भरोसा टूटा, सीट गई
लेकिन 2008 के आते आते पार्टी का रजिंदरपाल सिंह भाटिया से भरोसा तकरीबन खत्म हो गया था। इसी के मद्देनजर उन्हें विधानसभा चुनाव की टिकट भी नहीं दी गई। भाटिया के सामने हारते रहे कांग्रेस के भोलाराम साहू ने अंतत: जीत हासिल की।
भोलाराम साहू के विरूद्ध भाजपा ने श्रीमति जमुनादेवी साहू को मैदान में उतारा था जो कि 41475 वोट अर्जित करके भी चुनाव हार गई। भोलाराम साहू ने कुल जमा 57594 वोट अर्जित किए थे।
एक बार फिर 2013 के विधानसभा चुनाव में भोलाराम साहू ही कांग्रेस की तरफ से विजयी उम्मीदवार हुए। इस चुनाव की सबसे खास बात यह थी कि रजिंदरपाल सिंह भाटिया ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
निर्दलीय लड़ने के बावजूद भाटिया ने 43179 वोट अर्जित किए थे जो कि विजयी रहे भोलाराम साहू की तुलना में महज 8694 कम थे। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहे विजय दुखुराम साहू (28122) तीसरे स्थान पर चले गए थे।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के समय भी उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय जनता पार्टी इस बार अपनी गलती सुधारकर रजिंदरपाल सिंह भाटिया को एक बार फिर मैदान में उतार सकती है लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
हालांकि भाटिया भाजपा में वापस आ चुके थे लेकिन वह पार्टी का विश्वास अर्जित नहीं कर पाए। उनके स्थान पर भाजपा ने हिरेंद्र साहू को मैदान में उतारा जो कि 44236 मत प्राप्त कर कांग्रेस की छन्नी साहू से पीछे रह गए।
छन्नी साहू ने 2018 में 71733 मत प्राप्त किए थे। इस चुनाव में भाटिया की नाराजगी की भी खबर सुनाई देती रही थी। इस खबर को तब और बल मिला जब उनके ही समाज के सरदार जनरैल सिंह भाटिया जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से मैदान में उतरे।
हालांकि इस तरह की खबर में कोई दम नहीं था लेकिन जनता कांग्रेस के जरनैल सिंह भाटिया ने 14507 मत प्राप्त कर भाजपा की हार तय कर दी थी। इधर 19 सितंबर 2021 को रजिंदरपाल सिंह भाटिया का दुखद निधन हो गया।
बेटे की उम्मीद भी टूटी
स्व. भाटिया के जाने के बाद उनके सुपुत्र जगजीत सिंह भाटिया (लक्की) खुज्जी विधानसभा क्षेत्र में बड़ी तेजी से सक्रिय हुए थे। उन्हें उम्मीद थी कि पिता के स्थान पर पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव में उतार सकती है।
हालांकि यह उम्मीद उस समय टूट गई जब भाजपा की ओर से विधानसभा चुनाव के लिए पहली सूची जारी की गई थी। सूची की खास बात यह है कि इस चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
जिला पंचायत अध्यक्ष का जिम्मा गीता घासी साहू के पास है जो कि खुज्जी विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित की गई हैं। जबकि जिला पंचायत उपाध्यक्ष का दायित्व विक्रांत सिंह संभाल रहे हैं जिन्हें भाजपा ने खैरागढ़ से अपना उम्मीदवार बनाया है।
गीता घासी साहू के खुज्जी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनने के बाद क्षेत्र में एक सामान्य चर्चा है कि क्या भाजपा इस बार इस सीट को जीत ले जाएगी ? दरअसल खुज्जी विधानसभा सीट में भाजपा के साथ साथ स्व. रजिंदरपाल सिंह भाटिया के चाहने वालों की बहुतायत है।
उनके सुपुत्र को टिकट नहीं देकर भाजपा ने भले ही परिवारवाद से किनारा किया है लेकिन उनके समर्थकों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि नाराजगी दूर करने भाजपा के पास पर्याप्त समय है।
लेकिन सवाल इस बात का उठता है कि रजिंदरपाल सिंह भाटिया अथवा उनके समर्थकों का भाजपा ने ध्यान रखने में क्या कहीं कोई कमजोरी कर रखी है ? यदि इसका जवाब हां में है तो आने वाले नतीजे चौंका सकते हैं।