संसदीय सचिव की नियुक्ति संवैधानिक है या फिर . . ?

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रायपुर.

छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिव पद पर नियुक्ति की सुगबुगाहट शुरु होते ही आरोप प्रत्यारोप की राजनीति होने लगी है. सवाल इस बात का उठाया जा रहा है कि नियुक्ति संवैधानिक है या फिर असंवैधानिक.

संसदीय सचिव की नियुक्ति के मामले में राज्य में तलवारें खींची जा चुकी हैं. मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष जंग-ऐ-मैदान में उतर आए हैं.

पूर्व सीएम रमन सिंह और जोगी कांग्रेस से विधायक पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष धर्मजीत सिंह ने संसदीय सचिव की नियुक्ति को लेकर सरकार पर हमला किया है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसके जवाब में कहा है कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश अनुरूप की जाएगी.

बकौल भूपेश : रमन सिंह तय कर लें कि उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में काम करना है या प्रदेश में रहना है. रमन को कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है. उन्होंने हर वर्ग को ठगने का काम किया है.

क्या कहा था रमन ने

पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा था कि संसदीय सचिव बनाए जाने की चर्चा की जा रही है. जब कांग्रेस विपक्ष में थी तब हमारे निर्णय को असंवैधानिक कहते थे, विरोध करते थे.

रमन ने कहा था कि अब ये भी वही सब काम कर रहे हैं. यह साबित करता है हमने संवैधानिक रूप से निर्णय लिया था.

हाथी को बचा नहीं पा रहे और सफेद हाथी पाल रहे : सिंह

इधर इसी विषय पर जोगी कांग्रेस के विधायक धर्मजीत सिंह ने सरकार पर तीखा हमला किया है. पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष सिंह ने राज्य में हाथियों की हो रही मौत के मामले से इसे जोडा़ है.

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा है कि सरकार जब काले हाथी को बचा नहीं पा रही है तो ऐसे में संसदीय सचिव के साथ निगम व मंडलों में सफेद हाथी पालने का क्या औचित्य है?

उनके अनुसार इस नियुक्ति पर रोक लगानी चाहिए. ऐसी कोई भी नियुक्ति नहीं होना चाहिए. कोरोना काल में सरकार जब बजट का तीस प्रतिशत काट रही है, तो ऐसे समय में संसदीय सचिव के साथ निगम और मंडलों में सरकार को नियुक्ति नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा.

क्या कहते हैं तब न्यायालय जाने वाले अकबर

संसदीय सचिव की संभावित नियुक्ति पर उठ रहे विवाद पर मोहम्मद अकबर ने अपनी बात रखी है. यह वही अकबर हैं जोकि रमन सरकार के समय इस मुद्दे पर न्यायालय गए थे.

वन एवं विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि कोर्ट में उन्होंने ये बात रखी थी कि रमन सिंह ने संसदीय सचिवों के रूप में अनुचित नियुक्ति की है लेकिन हाईकोर्ट उनकी बातों से सहमत नहीं हुआ.

उन्होंने कहा कि न्यायालय ने नियुक्ति को अनुचित नहीं मानते हुए फैसला दिया था. वे न्यायालय का सम्मान करते हैं और जो न्यायालय ने कहा वे उसका पालन कर रहे हैं.

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