क्या वाकई सूर्यग्रहण के बाद खत्म होने लगेगी कोरोना महामारी ?

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• पारंपरिक ज्योतिष नवल शर्मा

सूर्य ग्रहण 26 दिसम्बर 2019 के बाद करोना महामारी का विस्तार हुआ था. सूर्य  ग्रहण 21 जून 2020 के साथ ही इस महामारी का समापन  होना शुरू हो जाना चाइए. ऐसा मत भारत वर्ष के कई ज्योतिषीयों का भी है.

21जून को दुर्लभ ग्रह स्थिति में सूर्य ग्रहण होगा. 6 ग्रह वक्री रहेंगे. बुध, शुक्र, शनि, गुरु वक्री रहें. राहु केतु वक्री रहते ही हैं.

500 सालों में ऐसी स्थिति नहीं बनी. साल का सबसे बड़ा दिन भी है. इस सूर्यग्रहण से ग्रह नक्षत्रों में होने वाले बदलावों से कोरोना महामारी का अंत होना शुरू हो जाएगा.

इस बार सूर्य ग्रहण रविवार को होने की वजह से वर्षा की कमी, गेहूं, धान और अन्‍य अनाज के उत्‍पादन में कमी आ सकती है. इसके अलावा प्रमुख देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के बीच भी तनाव और बहस बढ़ सकती है. वहीं व्‍यापारियों के लिए यह ग्रहण थोड़ा लाभ देने वाला माना जा रहा है.

21 जून 2020 को लगने वाले सूर्य ग्रहण का आरंभ भारत में 9 बजकर 56 मिनट से हो रहा है इसलिए नियमानुसार ग्रहण से 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक लग गया.

वैसे जिस नगर में ग्रहण का आरंभ जिस समय से हो रहा है उसी अनुसार ग्रहण का सूतक का समय भी लागू होगा.

ऐसा इसलिए क्योंकि शास्त्र कहता है कि सूर्यग्रहण में ग्रहण स्पर्श होने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक आरंभ होता है.

इसलिए भारत में 20 तारीख की रात 9 बजकर 56 मिनट से ग्रहण का सूतक मान्य होगा. दिन में 2 बजकर 28 मिनट पर पूरे देश से ग्रहण का सूतक समाप्त हो जाएगा.

वैसे अलग-अलग नगरों में सूतक समाप्त होने का समय अलग-अलग हो सकता है, क्योंकि ग्रहण का समापन अलग-अलग नगरों में अलग समय पर होगा.

सूर्यग्रहण में  घर पर रहना चाइए.  ग्रहण काल से पहले तुलसी के पत्‍तों को जल, दूध, दही व घी में डालकर रखा जाता है, ताकि ग्रहण के दुष्‍प्रभाव से बचा जा सके.

ग्रहण के दौरान पूजापाठ की मनाही होती है. मूर्तियों को स्‍पर्श भी नहीं किया जाता है. ग्रहण खत्‍म होने के बाद  स्‍नान करना चाइए. सूर्य देव की उपासना वाले मंत्रों का जाप भी ग्रहण के दौरान किया जाना चाइए है.

ग्रहण के समय  में भोजन नहीं बनाना चाहिए. न ही भोजन करना चाहिए. वहीं गर्भवती महिलाओं को भी इस दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.

जानिए समय और राशियों पर असर

हमारी हिंदू संस्कृति में ग्रहण का विशेष महत्त्व होता है. खगोलशास्त्री के लिए ग्रहण एक खगोलीय घटना है वहीं ज्योतिष शास्त्र के लिए ग्रहण भविष्य संकेत का एक अहम पड़ाव होते हैं.

ग्रहण मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं : सूर्यग्रहण व चन्द्रग्रहण.

इनके भी विविध प्रकार होते हैं जैसे खग्रास या पूर्ण, खंडग्रास, मान्द्य, कंकणाकृति आदि.

बहरहाल, ग्रहण को चाहें खगोलीय घटना कहें या ज्योतिष व धर्म से इसे संबंधित करें एक बात निर्विवाद रूप से सत्य है कि ग्रहण हमारी पृथ्वी एवं इस पर रहने वाले समस्त जीवों को न्यूनाधिक रूप से प्रभावित अवश्य करते हैं.

खगोलशास्त्र की मानें तो ग्रहण के समय सूर्य व चन्द्र से कुछ ऐसी किरणों का उत्सर्जन होता है जो हमारे लिए हानिकारक होती हैं वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ विशेष राशि व जन्मकुण्डली वाले व्यक्ति इससे अधिक प्रभावित होते हैं.

21जून को होने वाला यह ग्रहण खण्डग्रास/कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा. यह ग्रहण मृगशिरा व आर्द्रा नक्षत्र व मिथुन राशि पर मान्य होगा. यह ग्रहण संपूर्ण भारत में दृश्यमान होने के साथ-साथ बांग्लादेश, श्रीलंका, रूस, अफ़्रीका, ईरान, ईराक, नेपाल व पाकिस्तान में भी दिखाई देगा.

भारत में दृश्यमान होने के कारण इस सूर्यग्रहण के समस्त सूतक-यम-नियम भारतवासियों पर लागू होंगे.

ग्रहणकाल :

दिनांक- 21 जून 2020, संवत् 2077 आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या दिन रविवार

स्पर्श -10:09 मि. पूर्वान्ह (AM)

मध्य – 11:47 मि. अपरान्ह  (AM)

मोक्ष – 1:36 मि. मध्यान्ह  (PM)

पर्वकाल – 3:27 मिनट

सूतक – ग्रहण का सूतक दिनांक 20 जून 2020 को रात्रि 10:09 मिनट (PM) से मान्य होगा.

ग्रहण का फल –

शुभफल – मेष, सिंह, कन्या, मकर .

मध्यम फल – वृषभ, तुला, धनु, कुंभ.

अशुभ फल – मिथुन, कर्क, वृश्चिक, मीन.

उपर्युक्त शास्त्रीय निर्देशानुसार मध्यम व अशुभ फल वालों को ग्रहण का दर्शन करना नेष्टकारक व वर्जित रहेगा.

ग्रहण काल में साधकों व समस्त श्रद्धालुओं के लिए दान, मंत्र जप,स्वाध्याय, ईष्टदेव का मानसिक आराधना करना श्रेयस्कर रहेगा.

क्या करना चाइए :

ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलें. ग्रहण से पहले स्नान करें. तीर्थों पर न जा सकें तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं.

ग्रहण के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. श्रद्धा के अनुसार दान करना चाहिए.

सूर्य ग्रहण के दौरान सोना, यात्रा करना, पत्ते का छेदना, तिनका तोड़ना, लकड़ी काटना, फूल तोड़ना, बाल और नाखून काटना, कपड़े धोना और सिलना, दांत साफ करना, भोजन करना, शारीरिक संबंध बनाना, घुड़सवारी, हाथी की सवारी करना और गाय-भैंस का दूध निकालना इन सब बातों की मनाही होती है.

मंत्रों की सिद्धि :

मंत्र सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ समय ग्रहण को माना गया है. ग्रहण काल में किसी भी एक मंत्र को, जिसकी सिद्धि करना हो या किसी विशेष प्रयोजन हेतु सिद्धि करना हो, जप सकते हैं.

ग्रहण काल में मंत्र जपने के लिए माला की आवश्यकता नहीं होती बल्कि समय का ही महत्व होता है.

ग्रहण काल में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए. इसमें आप भगवान विष्णु के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय, भगवान गणेश के मंत्र श्री गणेशाय नम: का जाप कर सकते हैं.

इसके अलावा मां दुर्गा की आराधना करने वाले देवी मंत्र दुं दुर्गाय नम: , श्रीराम भक्त हनुमान के मंत्र ऊँ रामदूताय नम: और श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं.

याद रखें कि इन मंत्रों का जाप करते वक्त आपके मन में प्रभु की सच्ची आस्था होनी जरूरी है।*

ग्रहण पूर्ण रूप से समाप्‍त होने के बाद आपको पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. गंगाजल में कपूर मिलाकर छिड़काव करते हैं तो आपके घर से वास्‍तुदोष कम होता हैं. साथ ही ग्रहण के दुष्‍प्रभाव भी दूर होते हैं.नकारात्‍मक ऊर्जा भी जाती है.

ग्रहण काल में राशि अनुसार क्या दान करना चाहिए :

मेष राशि  –  इस राशि वालों को गुड़, लाल वस्त्र, मसूर की दाल और लाल वस्तुओं का दान करना चाहिए.

वृषभ राशि  –  इस राशि वालों को चावल, कपूर, सफेद कपड़ा या दूध का दान करना चाहिए.

मिथुन राशि  –  इस राशि वालों को हरी पत्तेदार सब्जी, हरी दाल, मूंग की दाल, हरा वस्त्र आदि का दान करना चाहिए.

कर्क राशि  –   इस राशि के जातकों को दही, सफेद कपड़ा, दूध, चांदी, चीनी का दान करना चाहिए.

सिंह राशि  –  जातकों को तांबे का सिक्का, तांबे का बर्तन, गेहूं, आटा, स्वर्ण, सेब और कोई भी मीठा फल दान करना चाहिए.

कन्या राशि  –   इस राशि वालो को  सब्जी, गायों को हरा चारा, जरूरतमंद को भोजन, जल, इलायची और शर्बत का  दान करना चाहिए.

तुला राशि  –  इस राशि वालो को  मंदिर में पूजन सामग्री, झाड़ू, अगरबत्ती, दीपक, घी, इत्र का दान करना चाहिए.

वृश्चिक राशि  –  इस राशि वालों को  पीली वस्तुएं, पीली मिठाई, हल्दी, गन्ना, गन्ने का रस, गुड़, चीनी और चंदन का दान  करना चाहिए.


धनु राशि  –   इस राशि वालों को  चना, बेसन, केसर, स्वर्ण, मिठाई, चांदी और घी का दान करना चाहिए.

मकर राशि  –    इस राशि वालों को  चना, उड़द,  पापड़, मटका, तिल, सरसों, कंघा और काजल का दान करना चाहिए.

कुंभ राशि  –  इस राशि वाले लोगों को ईंधन, आटा, मसाले, हनुमान चालीसा, दूध, जरूरतमंद को भोजन करवाना चाहिए.

मीन राशि  –  इस राशि वाले लोगों को पक्षियों को दाना, चींटियों के बिल पर गुड़ व आटे का मिश्रण डालना चाहिए.साथ ही केला, चने की दाल और जरूरतमंद को वस्त्र दान करना चाहिए.

हिवरखेड ( अकोला महाराष्ट्र )

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