उड़ीसा का सुपेबेड़ा बनते जा रहा तरईकेला

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झारसुगुड़ा.

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी हर घर में देखी जा रही है. तकरीबन यही हाल झारसुगुड़ा जिले के कोलाबीरा ग्राम पंचायत के तरईकेला गांव का है जिसे उड़ीसा का सुपेबेड़ा कहा जाने लगा है.

उल्लेखनीय है कि झारसुगुड़ा जिले के इस गांव में महज चार साल के दौरान बारह लोगों की अकाल मृत्यु किडनी संबंधी बीमारी के चलते हुई है. गांव में अभी भी तकरीबन डेढ़ दर्जन लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं.

खोज करने का प्रयास

गांव में फैली किडनी की बीमारी का कारण जानने अब प्रयास भी शुरू हो गया है. सीडीएमओ डॉ. डोलामणी पटेल की देखरेख में तरईकेला गांव से एक चिकित्सा दल लौटकर आया है.

इस दल में शामिल रहे डॉ. रत्नाकर चौधरी कहते हैं कि गांव में फिलहाल दो व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें किडनी बीमारी की शिकायत है. इसका कारण खोजा जा रहा है कि ऐसा क्यूंकर हो रहा है.

उनके अनुसार पहले इसकी जानकारी नहीं थी. अब जब खबर लगी है तो गांव में पहुंच कर कारण ढूंढा जा रहा है. डॉ. चौधरी बताते हैं कि पांच स्थानों से पानी का संग्रहण लिया गया है. इसे परीक्षण के लिए भेजा गया है.

उधर केशव सिंह नामक ग्रामीण बताते हैं कि उनका इस बीमारी के उपचार पर ही हजारों रूपए खर्च हो चुके हैं. इसी बीमारी के चलते उनकी मां मौत की आगोश में समा गई थी.

जबकि उर्वशी पारिख बताती हैं कि किडनी संबंधी बीमारी के चलते उनके दो भाईयों की आकस्मिक मौत हो चुकी है. बीमारी की रोकथाम के लिए प्रशासन को ध्यान देना चाहिए.

दुख पसायत नामक ग्रामीण कहते हैं कि गांव में पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था कराने की मांग कई मर्तबा शासन प्रशासन से की जा चुकी है. गांव में मौजूद नलकूप व पीने के पानी की जांच की भी व्यवस्था किए जाने की मांग होती रही है.

अपनी बीस साल की बेटी को इस बीमारी के चलते खोने वाले पसायत कहते हैं कि मौत का सिलसिला रोकने के लिए प्रशासन को बीमारी की रोकथाम करने अपने प्रयास में तेजी लानी होगी.

बहरहाल, गांव अब धीरे धीरे किडनी पीडि़त होने की कगार पर है. गांव में खैरा पसायत, मुनिशंकर मांझी, जमुना बगर्ती, अश्वनी सिंह नायक, रोहित मांझी, सुखा पारेख, मंगरा बाग, रखो कुम्हार, पवित्र प्रधान, सदानंद मांझी, ईश्वर मांझी की मौत बीते चार साल के दौरान किडनी पीडि़त होने के चलते हुई है.

प्रशासन-शासन अपने स्तर पर भले ही प्रयास करने की बात कहता रहे लेकिन अब गांव के ही जानकी चंदेल, दुख पसायत, जेमा पिंडई, वृषभ नाग, मनोज विजार, बेदमती ध्रुवा सहित पंद्रह ग्रामीण इस बीमारी से ग्रसित हैं. उन्हें अपनी मौत आती हुई नजर आने लगी है.

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