दूर दूर तक प्रसिद्ध है बरगढ़ की धनुयात्रा

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बरगढ़.

यहां की धनुयात्रा बरगढ़ से निकलकर देश विदेश में प्रसिद्ध हो चुकी है. धनुयात्रा के दौरान पूरा शहर रंगमंच में तब्दील हो जाता है.

उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से 320 किमी दूर स्थित है बरगढ़. इसी स्थान पर 1948 से धनुयात्रा का आयोजन होते आ रहा है. इस यात्रा में सबसे खास बात यह है कि 11 दिनों तक यहां कंस महाराज का शासन चलता है.

क्या पुलिस अधीक्षक, जिलाधीश, संतरी-मंत्री सब पर कंस महाराज अपने आदेश का पालन कराने दबाव डालते हैं. वह इन दिनों सड़कों पर घूम घूमकर व्यवस्था का जायजा लेते हैं. अच्छे कार्य पर पुरस्कार तो घटिया कार्य के लिए दंडित भी करते हैं.

बीजू पटनायक हो चुके हैं दंडित

जानकार बताते हैं कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बीजू पटनायक भी कंस महाराज से दंडित हो चुके हैं. बताया जाता है कि हर साल 10 से 21 जनवरी तक इस यात्रा का आयोजन होता है.

इसी धनुयात्रा ने बरगढ़ को इतनी प्रसिद्धि दी है कि उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया है. पूरा का पूरा शहर सबसे बड़े रंगमंच में तब्दील हो जाता है.

बताया जाता है कि इस दौरान शहर मथुरा में तब्दील हो जाता है. सटा हुआ अंबापाली को गोपापुर के नाम से जाना जाने लगता है. इन दोनों के बीच प्रवाहित होती जीरा नदी को यमुना का दर्जा दे दिया जाता है.

हाथी पर सवार होकर कंस महाराज निकलते हैं. संबंधित अधिकारी को दरबार में हाजिर होने को कहते हैं. कई अधिकारियों को फटकार भी लगाई जाती है. कंस के वध के साथ इस यात्रा का समापन होता है.

धनुयात्रा करीब सात दशक पुरानी है. देश विदेश से लोग इसे देखने आते हैं. जिला प्रशासन भी धनुयात्रा के आयोजन में अपनी भूमिका निभाता है. आयोजन समिति सारी व्यवस्था को लेकर सक्रिय रहती है.

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