237 देशों के डाक टिकट संग्रहण कर चुका 77 साल का बुजुर्ग

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राउरकेला.

237 देशों के डाक टिकट संग्रहण कर जवाहर इशरानी ने अब तक कई पुरस्कार जीते हैं. उनके पास तकरीबन 35 हजार से अधिक डाक टिकट का संग्रहण है.

राउरकेला में एक जापानी कंपनी मैकॉन इंडिया हुआ करती है. इसी कंपनी में 1986 से 1991 के बीच जवाहर ने काम किया है. वह तब सेक्टर 5 में रहा करते थे.

सेवानिवृत्ति के बाद वह दिल्ली निवासी हो गए लेकिन उनका राउरकेला से जीवन्त संपर्क बना हुआ है. वह जब तब राउरकेला आते रहते हैं.

विभाजन का दंश झेलना पड़ा

जवाहर बताते हैं कि उनकी पैदाइश 1943 में पाकिस्तान के लड़काना में हुई थी. सेक्शन ऑफिसर बेड़ोमल के परिवार में पैदाइश के बाद उन्हें देश विभाजन का दंश झेलना पड़ा.

विभाजन के दौरान वह दिल्ली स्थित पुराने किले में शरणार्थी के रूप में रहने लगे. लोधी रोड स्थित सरकारी सिंधी स्कूल से उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अर्जित की. 1961 में वह राजस्थान चले गए.

अजमेर (राजस्थान) से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ड्रॉफ्टमैन का पाठ्यक्रम पूरा किया. 1962 में उनकी नौकरी देहरादून में लग गई. जुलाई 1970 में सीईडीवी जो कि वर्तमान में मैकॉन के नाम से प्रसिद्ध है में डिजाइन असिस्टेंट पद पर कार्यभार ग्रहण किया.

2000 में उन्होंने सेवानिवृत्ति ले ली. फिलहाल वह दिल्ली में रहते हैं. 14 साल से टीयूवी नोएडा में निरीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत इशरानी बताते हैं कि उनका डाक संग्रहण आज भी जारी है.

इशरानी के बताए अनुसार उन्हें प्रारंभिक शिक्षा में शिक्षक डॉ. मोतीलाल जोतवानी ने बताया था कि पढ़ाई के साथ कोई न कोई शौक जरूर रखना चाहिए. तो उन्होंने डाक संग्रहण का शौक पाल लिया.

300 से अधिक शैक्षणिक संस्थाओं, औद्योगिक संस्थानों में उन्होंने अपने डाक संग्रहण की निशुल्क प्रदर्शनी लगाई है. इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड, लीजेंड अवॉर्ड ऑफ इंडिया, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड जैसे कई सम्मान-पुरस्कार उन्हें मिल चुके हैं.

इशरानी बताते हैं कि उनके पास खेलकूद, पशु पक्षी, पेंटिंग, फूल पत्ती, परिवहन साधन, राजा महाराजा से लेकर दूल्हे दुल्हन, वेशभूषा, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे वर्ग में तकरीबन 237 देशों के डाक टिकट संग्रहित है.

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