झीरम के दागी एचएम-सीएम के चहेते

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रायपुर.

झीरम घाटी नक्सली हमले के दागी पुलिस अफसर इन दिनों उस कांग्रेस सरकार में एचएम-सीएम के चहेते बने हुए हैं जिस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सहित बड़े नेताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. आईजी के पद पर उसी दुर्ग में अधिकारी पदस्थ है जिसे गृहमंत्री व मुख्यमंत्री का गृह जिला माना जाता है.

उल्लेखनीय है कि 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने हमला कर कांग्रेस नेताओं की जान ले ली थी.

तब तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल व उनके पुत्र दिनेश पटेल सहित बस्तर टाइगर के नाम से प्रसिद्ध पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, कद्दावर कांग्रेसी विद्याचरण शुक्ल, पूर्व विधायक उदय मुदलियार सहित 29 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

मामले के तूल पकडऩे पर तत्कालीन भाजपा सरकार ने बस्तर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मयंक श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया था. तब बस्तर आईजी रहे डॉ. हिमांशु गुप्ता को पुलिस मुख्यालय रायपुर बुला लिया गया था.

श्रीवास्तव का विरोध लेकिन गुप्ता के समय शांति

मामले में कांग्रेस भी बेदाग नजर नहीं आती है. तब भले ही भाजपा सरकार हुआ करती थी लेकिन उसने फौरी तौर पर कार्यवाही करते हुए श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया था. गुप्ता को बस्तर से वापस बुला लिया गया था.

इसके बाद जब मयंक श्रीवास्तव को दुर्ग एसपी बनाने का फैसला भाजपा सरकार ने लिया तो तब विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने उनकी पदस्थापना का विरोध किया था.

यही विरोध कांग्रेस यदि सत्ता में रहते हुए भी करती तो माना जा सकता था कि झीरम की टीस उसके सीने में अभी भी बाकी है.

लेकिन कांग्रेस ने सत्ता में आते ही एक ओर अपनी उस टीस को संभवत: खत्म कर दिया है जो कि उसके नेताओं की मौत से उपजी थी.

तब विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस, आईपीएस श्रीवास्तव की पदस्थापना का विरोध कर रही थी और आज जब डॉ. हिमांशु गुप्ता दुर्ग आईजी के पद पर कांग्रेस सरकार मेंं पदस्थ हैं तो न कोई विरोध, न कोई शोर.

दुर्ग जिले को इन दिनों छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक ताकतवर जिला माना जाता है. दुर्ग से प्रदेश के मुखिया के साथ ही पुलिस महकमे को संभालने वाले गृहमंत्री भी आते हैं.

इन दोनों के राज में डॉ. हिमांशु गुप्ता दुर्ग आईजी पद पर बैठाए गए हैं. क्या यह गलत नहीं है?

क्या कांग्रेस को और किसी अधिकारी का ख्याल नहीं आया जो कि हिमांशु गुप्ता को दुर्ग आईजी पद पर बैठा दिया गया.

दरअसल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के उसके अपने ही सलाहकार गर्त में ले जा रहे हैं.खैर, ऐसा नहीं है कि पहली बार ऐसा हुआ है.

याद करिए बिलासपुर के उस हादसे को जब तत्कालीन मंत्री अमर अग्रवाल के बंगले पर कथित तौर पर कचरा फेंक देने के आरोप में कांग्रेसियों की कुटाई हो गई थी.

तब बिलासपुर के एसपी शेख आरिफ हुसैन हुआ करते थे. उन्हें भी कांग्रेस सरकार में वजनदार पद मिला और वह रायपुर एसपी हो गए.

इसी तरह याद करिए आईपीएस प्रदीप गुप्ता और आईपीएस अशोक जुनैजा का पुराना कार्यकाल.

जब प्रदीप गुप्ता रायपुर आईजी हुआ करते थे तब कथित सेक्स सीडी कांड जबरदस्त तरीके से उछला था.

मामले में तब, इन दिनों सरकार के सलाहकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी होने की सूचना रायपुर आईजी रहते हुए प्रदीप गुप्ता ने ही पत्रकारों को दी थी.

इसी तरह इस सारे मामले को इंटेलिजेंस चीफ रहते हुए आईपीएस अशोक जुनैजा देखा करते थे.

उनके ही इशारे पर विनोद वर्मा की गिरफ्तारी की गई थी. आज वही अशोक जुनैजा इस सरकार में पीएचक्यू के सबसे ताकतवार एडीजी हैं.

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