दक्षिण-पूर्व एशिया में गोबर गैस से चलने वाली पहली बस कोलकाता में

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नई दिल्ली।

भले ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को देश मोदी विरोधी के रूप में जानता है। वहां साम्प्रदायिक तनाव की खबरें भी आ रहीं हैं। खबरों के अनुसार आरएसएस से ममता का खूनी संघर्ष चल रहा है लेकिन इस सबके बीच आम जनता को राहत देने वाली खबर भी ममता के बंगाल से ही आ रही है। यहां एक ऐसी बस सेवा लांच की गई है जो आम नागरिकों को 1 रुपए में 17 किलोमीटर का सफर कराएगी। जबकि डीजल से चलने वाली बसें इस दूरी के लिए बंगाल में कम से कम 12 रुपए लेतीं हैं। आप इस बस से महज एक रुपए में उल्टाडांगा से गरिया तक 17.5 किलोमीटर तक का सफर कर सकते हैं।

इस बस को वैकल्पिक ऊर्जा प्रदान करने वाली कंपनी फोनिक्स इंडिया रिसर्च एंड डेवलपमेंट ग्रुप ने लांच किया है। फोनिक्स के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ज्योति प्रकाश दास ने बताया, हमने तीन साल पहले नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सेंट्रल सब्सिडी प्लान के तहत यह परिकल्पना की थी, जिसे आज मूर्त रूप दिया गया।

यह भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया में गोबर गैस से चलने वाली पहली बस है। 54 सीटों वाली इस बस को अशोक लीलैंड ने लगभग 13 लाख रुपए की लागत से तैयार किया है, जबकि इसे चलाने में इस्तेमाल होने वाली गोबर गैस हम बीरभूम जिले के दुबराजपुर स्थित अपने प्लांट में तैयार कर रहे हैं। प्रति किलोग्राम गोबर गैस के उत्पादन में 20 रुपए की लागत आती है। यह बस एक किलोग्राम गोबर गैस पर छह किलोमीटर का माइलेज देगी। इसमें जर्मन टेक्नोलॉजी वाला इंजन लगा है।

ज्योति प्रकाश ने भावी योजनाओं के बारे में कहा कि इस साल महानगर में विभिन्न रूटों पर इस तरह की 15 और बसें शुरू की जाएंगी, जो बशीरहाट, बेहला, साल्टलेक, हावड़ा समेत विभिन्न रूटों पर चलेंगी। पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में भी जल्द बसें शुरू की जाएंगी।

गौरतलब है कि वर्तमान में कोलकाता में डीजल से चलने वाली बसों का न्यूनतम किराया छह रुपए है, जो 17 किलोमीटर तक बढ़कर 12 रुपए हो जाता है। गोबर गैस, जिसे बायोगैस भी कहा जाता है, जानवरों के वर्ज्य पदार्थों एवं कचरे से तैयार किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से मिथेन होता है। यह एक गैर-जहरीली ज्वलनशील गैस है, जिसका इस्तेमाल वाहनों के ईंधन के रूप में, भोजन पकाने एवं बिजली पैदा करने में होता है।

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