कांग्रेस से ज्यादा कमलनाथ को झटका

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नेशन अलर्ट, 97706-56789

जबलपुर/भोपाल.

आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस से ज्यादा प्रदेश के मुखिया कमलनाथ को झटका लगा है. दरअसल प्रदेश के हाईकोर्ट ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर मेडिकल भर्ती पर रोक लगा दी है.

हाईकोर्ट का कहना है कि जातिगत आधार पर 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है. अब लोकसभा चुनाव में आरक्षण के मुद्दे को भुनाने की तैयारी कर रही कमलनाथ सरकार को जबरदस्त झटका लगा है.

क्या हैं विकल्प?

कमलनाथ सरकार के सामने अब बेहद सीमित विकल्प बाकी रह गए हैं. या तो कमलनाथ ओबीसी के आरक्षण को वापस लें या फिर अनुसूचित जाति के आरक्षण कोटे को कम करके वह अधिकार पिछड़ा वर्ग को दें.

इससे कई तरह के राजनीतिक खतरे भी पैदा हो जाएंगे. यदि कमलनाथ सरकार अनुसूचित जाति के आरक्षण के कोटे में कमी करती है तो वह उससे रूष्ट हो जाएगी.

मेडिकल छात्राओं में से तीन ने प्रीपीजी काउंसलिंग को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट ने पाया कि 50 फीसद से ज्यादा आरक्षण हैं.

इस आधार पर हाईकोर्ट ने काउंसलिंग में इसके लागू होने पर ही रोक लगा दी है. राज्य सरकार व डीएमई को हाईकोर्ट की तरफ से नोटिस भी जारी किया गया है.

मतलब साफ है कि अब मध्यप्रदेश में ओबीसी का आरक्षण सिर्फ 14 फीसद ही रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण किसी भी हाल में होना नहीं चाहिए.

इस आधार पर कानून के कई जानकार मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने को गैरकानूनी बताते रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पहले से ही ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी था. इसे कमलनाथ सरकार ने बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था.

प्रदेश में पहले से ही अनुसूचित जाति और जनजातियों को 36 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है.

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