किस सेनानी के लिए सीएम ने अपनी कुर्सी छोड़ी ?

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मोहला/राजनांदगांव.

नक्सल प्रभावित क्षेत्र के पानाबरस में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने व्यवहार से आयोजकों सहित कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया. उन्होंने कुर्सी छोड़कर अंतिम पंक्ति में बैठे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का न केवल स्वागत किया बल्कि उनकी कुशलक्षेम भी पूछी.

दरअसल भूपेश बघेल आज दोपहर आदिवासी समाज के एक कार्यक्रम में शामिल होने पानाबरस पहुंचे थे. वे पानाबरस के पूर्व जमींदार लाल श्यामशाह व उनकी पत्नी राजमाता मनमोहिनी देवी की प्रतिमा के लोकार्पण अवसर पर आए थे.

प्रतिमा लोकार्पण के बाद सीएम मैदान में बने मंच तक पहुंचे. वहां पर उनके स्वागत के लिए आयोजकों सहित राजनीतिक दल के पदाधिकारियों की मौजूदगी थी.

एक के बाद एक ने भूपेश बघेल का स्वागत किया. लेकिन जब मुख्यमंत्री को पता चला कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देवप्रसाद आर्य न केवल कार्यक्रम में मौजूद हैं बल्कि मंच पर विराजित हैं तो मुख्यमंत्री ने अपनी कुर्सी छोडऩे में तनिक भी देर न लगाई.

इसके बाद भूपेश बघेल अपनी पंक्ति से निकलकर एक पंक्ति के बाद अंतिम पंक्ति में बैठे देवप्रसाद आर्य के पास पहुंचे. वहां मुख्यमंत्री ने देवप्रसाद का फूल माला से स्वागत भी किया. मोहला विकासखंड के गांव हतरा के निवासी देवप्रसाद से मुख्यमंत्री ने उनके स्वास्थ्य को लेकर बातचीत भी की.

जब पूर्व सांसद के पुत्र को रोका गया

इधर मंच पर मुख्यमंत्री के साथ विधायक इंदलशाह मंडावी, खुज्जी विधायक छन्नी साहू, डोंगरगांव विधायक दलेश्वर साहू, डोंगरगढ़ विधायक भुनेश्वर बघेल सहित आयोजकों व वरिष्ठ कांग्रेसी मौजूद थे.

मंच के ठीक नीचे की गई बेरिकेटिंग में अधिकारियों के बैठने का स्थान निर्धारित था. इसके बाहर से आने वालों के लिए अस्थायी गेट बनाकर व्यवस्था की गई थी. इसी गेट पर पूर्व सांसद शिवेंद्र बहादुर सिंह के सुपुत्र भवानी बहादुर रोक दिए गए.

काफी देर तक उन्हें इंतजार करना पड़ा. जब उन्होंने अपना परिचय बताया और मंच से उन्हें आने देने की खबर आई तो उन्हें जाने दिया गया.

कार्यक्रम के बाद वह मोहला की पूर्व विधायक तेजकुंवर नेताम से ये कहते हुए नजर आए कि आप लोगों ने मुख्यमंत्री को नहीं बताया कि मेरे पिताजी ने यहीं पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सभा कराई थी.

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