कर्मा के पुत्र को नौकरी पर छिडे़ विवाद पर सीएम ने लिखा पत्र: भाजपा के वायदे को हमने पूरा किया

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रायपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फेसबुक पर एक खुला पत्र लिखा है.सीएम ने यह पत्र छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए लिखा है.

सीएम ने लिखा है कि . . .

छत्तीसगढ़ के युवा साथियों,

आज आप सबसे अपनी दिल की बात साझा कर रहा हूं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बने लगभग 60 दिन से अधिक हो चुके हैं.

इन 60 दिनों में मैंने अपना हर एक पल छत्तीसगढ़ की जनता के लिए उपलब्ध रहने और ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ने के संकल्प को पूरा करने की प्रक्रिया में समर्पित करने का प्रयास किया है.

मैं भी आप सभी की तरह एक साधारण किसान परिवार से संबंध रखता हूं. एक किसान का बेटा होने के कारण मैंने भी युवा अवस्था में कई तरह की चुनौतियों का सामना किया है.

कॉलेज में दाखिले से लेकर अच्छे अंक प्राप्त करने तक, किसी भी प्रतिस्पर्धा में शामिल होकर उसमें सफलता प्राप्ति के प्रयास तक एवं अध्ययन उपरांत अपनी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष से लेकर, पारिवारिक जिम्मेदारी को सम्भालने तक, लगभग हर स्तर पर संघर्ष से मेरी मुलाकात होती रही है.

इसलिए आप सबके दर्द और संघर्ष को मैं बखूबी समझता हूँ और मुझे ऐसा लगता है कि बदलते सामाजिक परिवेश के चलते आपका संघर्ष और समर्पण मेरी उस समय की परिस्थितियों की तुलना में और भी कठिन होगा.

साथियों, हमारे महान छत्तीसगढ़ प्रदेश का जन्म वर्ष 2000 में हुआ. यह छत्तीसगढ़ महतारी का आशीर्वाद ही था जिसने कि नवजात शिशु रुपी प्रदेश को प्रारम्भिक 3 साल के लिए कांग्रेस पार्टी के द्वारा इसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी को पूरा किया जाना आदेशित किया.

उसके उपरांत लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुरूप प्रदेश में 15 साल तक भाजपा की सरकार रही है. उनके कार्यकाल में जिस तरह से आप सबके अधिकारों का दोहन हुआ है, उससे न केवल मैं वाकिफ हूं, बल्कि आप सब भी भली भांति जानते एवं समझते हैं.

आदिवासियों के हक़ की लड़ाई लड़ते-लड़ते नक्सलियों की गोली से शहीद हुए महेन्द्र कर्मा के पुत्र आशीष कर्मा की बात है तो मैं आप सभी को यह बताता चलूं कि हमने किसी भी सामान्य युवा का अधिकार छीनकर उन्हें नहीं दिया है.

शहीद पुत्र को अनुकंपा पर नौकरी देने का वादा भाजपा की सरकार ने ही किया था. हमने बस उसे पूरा किया है. इसके कारण छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की आगामी प्रवेश परीक्षा में सीटों में कोई कटौती नहीं होने वाली है.

अंत में यही कहना चाहूंगा कि नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने की चुनौती बहुत बड़ी है और यह मैं अकेले आप सबके सहयोग के बिना नहीं कर सकता.

मेरा सपना है कि नवा छत्तीसगढ़ में किसान कर्जमुक्त रहें, आदिवासी आत्मनिर्भर बनें ताकि वे अपनी जरूरत के सामान चप्पल, टिफिन, साड़ी खुद खरीद सकें और युवाओं को कोई भी सरकार मोबाइल देकर उन्हें अपमानित करने की जुर्रत न कर सके.

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