मंत्रों की तरह अपने द्वारा कही गई बातों को जपता हूं : शिवराज सिंह

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सीहोर।

एक ही भाषण को कई मंचों पर हूबहू दोहराने वाले शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि केवल विरोधी ही नहीं मेरी अपनी पत्नी साधना भी मुझसे यह सवाल पूछतीं हैं। साधना मुझसे कहती हैं कि आप मंच से बार-बार एक ही बात क्यों दोहराते हैं। मैंने उन्हें बताया कि मैं अपनी बात को मंत्रों की तरह जपता हूं। जैसे बार-बार मंत्रों को जपने से उद्धार होता है। वैसे ही जनता के सामने एक ही बात बार-बार दोहराने से उन्हें आसानी से बात समझ आ जाती है।

शाहगंज के सोड़ानिया गांव में नर्मदा यात्रा के 99 वें दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मंच से कही। इस अवसर पर आध्यात्मिक गुरू सदगुरू जग्गी वासुदेव महाराज, पंडित कमल किशोर नागर, अभिनेता विवेक ओबराय सहित अन्य साधु-संत मौजूद थे। इस मौके पर वासुदेव महाराज ने कहा कि लालच ने मनुष्य को इतना कठोर हृदय बना दिया है कि वह जीवन के स्त्रोत को ही नष्ट करने पर उतारू है। नर्मदा बहती रहे इसके लिए जरूरी है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो नर्मदा सेवा यात्रा निकाल रहे हैं।

वह सबसे अच्छा विकल्प है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोग भाग्यशाली हैं, उन्हें एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला है जिसका दिल धड़कता है। नर्मदा सेवा यात्रा को आशीर्वाद देते हुए कहा कि यह यात्रा अभूतपूर्व रूप से सफल होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से ऐसा अभियान पूरे देश में चलाने की चर्चा की जाएगी। उन्होंने मुख्यमंत्री को कैलाश तीर्थ पवित्र जलपात्र भेंट किया। आध्यात्मिक गुरू सदगुरू वासुदेव जग्गी ने कहा है कि पवित्र नर्मदा नदी आनंद देती है। यह सभ्यता की जननी है, इसलिए इसका संरक्षण जरूरी है। नदियों को अब हमें बचाना होगा

सदगुरू ने कहा कि हमें बचाने वाली नदियों को अब हमें बचाना होगा। नर्मदा गौरव के साथ बहती रहे इसके लिए। इसके किनारों पर पेड़ लगाना जरूरी हो गया है। इसके लिए नीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने के लिए केंद्र सरकर से वार्ता चल रही है। जब भारत में जंगल थे तो नदियां भी कल कल बहती थी। जंगल खत्म होने से नदियों का बहाव कम हो गया है। उन्होंने कहा कि नदियों के किनारों की मिट्टी बचाना जरूरी है नहीं तो सूरज की गर्मी से मिट्टी रेत में बदल जाएगी और रेगिस्तान बन जाएगा।

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