पांच बरस और आबकारी में पांच हजार करोड़ का घोटाला

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राजेश सांडिल्य/रायपुर.

पांच साल के भीतर आबकारी विभाग छत्तीसगढ में तकरीबन पांच हजार करोड़ के घोटाले की बात हो रही है. मामले की इओडब्ल्यू व लोक आयोग में मय दस्तावेज शिकायत करने की तैयारी की जा रही है.

दरअसल, मामला आबकारी विभाग में संविदा पर वर्षो कार्यरत रहे समुंद सिंह की कारगुजारियों से जुड़ा हुआ है. समुंद सिंह के खिलाफ अब जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रवक्ता रहे नितीन भंसाली ने मोर्चा खोल दिया है.

मुख्यमंत्री से मांगा मिलने का समय

भंसाली ने मुख्यमंत्री से इसी मामले में मिलने का समय मांगा है. भंसाली कहते हैं कि सरकार बदलने के साथ ही समुंद सिंह भूमिगत हो गए हैं.

भंसाली के मुताबिक समुंद सिंह वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक आबकारी मंत्री के चहेते रहे थे. नौ वर्षो तक संविदा पर कार्य करने वाले समुंद सिंह ने पचास से साठ प्रतिशत तक का प्राफिट मार्जिन शराब बिक्री पर दिया था.

इसे अन्य राज्यों की तुलना में भंसाली बेहद ज्यादा बताते हैं. भाजपा शासनकाल में शराब के मूल्य निर्धारण का कोई मापदंड नहीं था. इसके अलावा भंसाली कहते हैं कि मनमाने तरीके से कार्य करते हुए शराब ठेकेदारों को करोड़ों रूपए का लाभ पहुंचाया गया.

लोकल ब्रांड की शराब को बिना मापदंडों के परीक्षण के मनमाने तरीके अपनाकर इंडियन मेड फारेन लीकर की श्रेणी में रखा गया. लोकल ब्रांड की शराब का बिक्री मूल्य निर्धारण महंगी दर पर समुंद सिंह के ही इशारे पर हुआ.

भंसाली इसके आगे बताते हैं कि 2012 से 2017 के दौरान समुंद सिंह के ही इशारे पर शराब दुकान के आबंटन की प्रक्रिया की गई. बगैर एक रूपए आयकर पटाए दिगरनामों से शराब दुकानों का संचालन कर ठेकेदारों ने करोड़ों रूपए कमाए हैं. इसी राशि में से समुंद सिंह को भी लाभान्वित किया गया है.

आबकारी महकमा तलाश रहा सिंह को

इधर आबकारी विभाग के अमले ने समुंद सिंह को तलाशना शुरू कर दिया है. बताया जाता है कि सरकार बदलते ही वह इस्तीफा देकर भूमिगत हो गए हैं.

समुंद सिंह को नौकरी त्यागने के पहले विभाग को एक सूचना देनी थी. अब आगे चलकर मैं नौकरी नहीं कर पाउंगा ऐसी सूचना देने के साथ ही उन्हें एक महीने की पगार भी जमा करानी थी.

लेकिन यहां पर भी ऐसा कुछ नहीें हुआ. अचानक से समुंद सिंह गायब हो गए. अब विभाग के कर्मचारी विधायक कालोनी स्थित 36 नं. बंगले के चक्कर लगा रहे हैं.

इसी बंगले में समुंद सिंह रहा करते थे. आबकारी विभाग के आयुक्त कमलप्रीत बताते हैं कि समुंद सिंह के नाम से नोटिस जारी की गई है. एक तो वह मिल नहीं रहे हैं दूसरा उनका मोबाइल नं. भी बंद आ रहा है.

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