चिप्स के तत्कालीन सीईओ अमन सिंह कैग के निशाने पर

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रायपुर.

छत्तीसगढ़ इंफोटेक एंड बायोटेक प्रमोशन सोसायटी (चिप्स) के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) रह चुके अमन सिंह अब नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) के निशाने पर आ गए हैं.

कैग ने आज जो रपट जारी की है उसमें उन्होंने चिप्स की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. कैग कहता है कि चिप्स ने ई-टेंडरों को सुरक्षित बनाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए थे.

4 हजार 6 सौ एक करोड़ के टेंडर में गड़बड़ी

इधर, कैग ने राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा शासन काल में हुए भ्रष्टाचार के मामले को उजागर किया है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार 4 हजार 6 सौ एक करोड़ के टेंडर में गड़बड़ी की गई है.

रपट के मुताबिक 17 विभागों के अधिकारी इसमें शामिल हैं. 74 ऐसे कंप्यूटर्स का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने के लिए किया गया जिनका इस्तेमाल वापस उन्हीं टेंडर्स को भरने के लिए हुआ.

मेन्युल जारी किए गए टेंडर

कैग की रपट के अनुसार 10 से 20 लाख के एक सौ आठ करोड़ के टेंडर पीडब्लूडी और डब्लूआरडी प्रणाली द्वारा जारी न कर मेन्युल जारी कर दिए गए.

एक हजार 921 टेंडर जो कि कुल 4 हजार 6 सौ एक करोड़ रुपए के होते हैं उन्हें अधिकारियों के कंप्यूटर से ही भरा गया. टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और निविदा की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी एक दूसरे के संपर्क में थे इसके भी संकेत मिलते हैं.

कैग अब इन मामलों की जांच की सिफारिश कर रहा है. रिपोर्ट में बताया गया कि पांच अयोग्य ठेकेदारों को पांच टेंडर जमा करने दे दिए गए थे. इसी मामले में चिप्स पर ई-टेंडर को असुरक्षित रखने के उपाय नहीं किए जाने का उल्लेख है.

रपट के अनुसार 79 ठेकेदार ऐसे हैं जिन्होंने निविदा प्रक्रिया में दो पेन नंबर का इस्तेमाल किया. एक पेन नंबर का इस्तेमाल पीडब्लूडी में रजिस्टे्रशन के लिए तो दूसरा ई-प्राक्यूरमेंट में किया गया.

ठेकेदार ने आयकर अधिनियम की धारा-1961 का उल्लंघन किया. इन 79 ठेकेदारों ने ही 209 करोड़ का काम प्रदेश में किया था.

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