अवस्थी ने पहन लिया कांटों भरा ताज

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नेशन अलर्ट l रायपुर.

आईपीएस डीएम अवस्थी… प्रदेश के नए पुलिस मुखिया… लेकिन क्या डीएम अवस्थी वह सब कर पाएंगे जो उनसे उम्मीद की जा रही है?

दरअसल, अवस्थी ने एक तरह से कांटों भरा ताज पहन लिया है. डीएम अवस्थी ने अब तक डीजीपी रहे एएन उपाध्याय को सरकार द्वारा हटाए जाने के बाद उनकी कुर्सी अर्जित की है.

तीन बड़े मामले सामने
उपाध्याय की जगह बैठाए गए अवस्थी के सामने तीन बड़े मामले हैं. तीनों ही मामले पूर्ववर्ती सरकार से जुड़े हुए भ्रष्टाचार के प्रत्यक्ष उदाहरण बताए जाते हैं.

पहला मामला तो नागरिक आपूर्ति निगम का ऐसा है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री के परिजन भी आरोपी हो सकते हैं. इस मामले में पहले से ही दो आईएएस अफसर कानूनी कार्रवाई झेल रहे हैं.

दूसरा मामला इंदिरा प्रियदर्शनी सहकारी बैंक से जुड़ा हुआ है. इस मामले में तब के मुख्यमंत्री के अलावा कुछ पूर्व मंत्रियों को पैसा देने की बात स्वयं तब के प्रबंधक उमेश सिन्हा ने अपने नार्काे टेस्ट में स्वीकारी थी.

तीसरा मामला झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में शहीद हुए कांग्रेस व उसके परिवार से जुड़ा हुआ है. झीरम में तब के प्रदेश कांग्र्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, बस्तर टाईगर महेंद्र कर्मा, विद्याचरण शुक्ल, उदय मुदलियार सहित 31 लोगों की नक्सली हमले में शहादत हो गई थी.

मुकेश-अमन का भ्रष्टाचार करेगा परेशान
अब जबकि डीएम अवस्थी ने पुलिस महानिदेशक का कार्यभार ग्रहण कर लिया है तो उन्हेंं उक्त तीनों मामलों के अलावा आईपीएस मुकेश गुप्ता, पूर्व मुख्यमंत्री के सचिव रहे अमन सिंह से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले को भी उजागर करना होगा.

ये दोनों ही ऐसे व्यक्ति हैं जो शुरु से कांग्रेस की आंखों में खटकते रहे हैं. यदि अवस्थी को डीजी का दायित्व सौंपा गया है तो यह भी तय है कि उन्हें ये सारे काम भी बताए गए होंगे.

आने वाले दिनों में डीजी को इन सवालों को हल करना ही होगा. यदि वह इसमें सफल रहते हैं तो ठीक है नहीं तो उनसे कांग्रेस का नेतृत्व नाराज भी हो सकता है.

वर्तमान में कांग्रेस की सरकार हर हाल में नतीजा प्रिय सरकार बनने के प्रयास में लगी हुई है. प्रदेश के मुखिया भी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हर मामले को बारिकी से लेते हैं.

मुखिया को उनके पूर्व मुखिया की तरह किंतु-परंतु कर टरकाया नहीं जा सकता है. पुराने मुखिया किंतु-परंतु सुन लेते थे लेकिन नए मुखिया के तेवर ऐसे नहीं है. उन्हें तो नतीजा किसी भी सूरत में चाहिए.

तो क्या ये माना जाए कि, कांटों भरे ताज को अवस्थी ने अपने माथे से लगा लिया है?

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