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मिस्टर आईजी . . . विधानसभा अध्यक्ष, गृहमँत्री के प्रभार वाला जिला है नाँदगाँव !

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नेशन अलर्ट/9770656789

मृत्युँजय.

मिस्टर आईजी . . . भूलिएगा नहीं ! माननीय विधानसभा अध्यक्ष का निर्वाचन मुख्यालय है नाँदगाँव . . . साथ ही साथ हम सबके लाड़ले गृहमँत्री का प्रभार वाला जिला है राजनाँदगाँव.

दुर्भाग्य से ऐसा आप जैसे बडे़ ओहदे पर बैठे अधिकारी को बताते हुए लिखना पड़ रहा है. कहाँ है आपकी पुलिस की मानवीय सँवेदना ? कहाँ है उसका
“परित्राणाय साधुनाम्” अथवा “देश भक्ति, जन सेवा” वाला भाव ?

आपकी ( हमारी ) पुलिस कितनी सँवेदनशील है यह इससे समझ लीजिए कि आपको नाँदगाँव रेंज आईजी का पदभार सँभाले अभी 24 घँटे भी नहीं हुए रहे होंगे कि आपके बँगले सह कार्यालय में अधिवक्ताओं को धरने पर बैठना पड़ गया.

महोदय, यह वही सँस्कारधानी शहर है जहाँ के विधायक बीते 15 साल प्रदेश के मुखिया रह चुके हैं. फिलहाल वह विधानसभा अध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं.

इसे सँयोग मात्र ही समझिए कि ऐसा तब कभी भी नहीं हुआ. धरना प्रदर्शन, सहमति – असहमति तब भी चला करती थीं. लेकिन तब कानून के जानकारों को मात्र एक रपट दर्ज कराने जिले अथवा रेंज के सबसे बडे़ पुलिस अधिकारी के समझ धरने पर बैठना पडा़ हो.

माफ कीजिएगा ! लेकिन पुलिस की नीयत में खोट कहीं न कहीं नज़र आती है. ऐसा यदि नहीं है तो फिर क्यूं शारीरिक शोषण का शिकार हुई एक आदिवासी युवती को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है ?

शायद पुलिस यह भूल चुकी है कि प्रदेश के मुखिया भी एक आदिवासी ही हैं. कल को बात उनके कानों तक पहुँचाई जाएगी तब क्या होगा ? माननीय नहीं बल्कि माननीयों की भावना का अपमान है यह प्रकरण.

क्यूं और कैसे बाघनदी पुलिस थाने के किसी कर्मचारी की इतनी हिम्मत हुई कि उसने रपट लिखने के स्थान पर सुलह की सलाह अपनी ओर से दे दी ? क्यूं अनुसूचित जाति जनजाति थाना राजनाँदगाँव में भी इस प्रकरण को कल आना, परसों आना कहकर टालने का प्रयास किया गया ?

क्यूं आईजी साहब किन्हीं कारणोंवश उन आँगतुक वकीलों से नहीं मिल पाए जोकि पीडि़ता की शिकायत लेकर उनके “दरबार” पहुँचे थे ? वह भी तब जब आपने दिन में ही कार्यभार सँभाला है और पुलिस की लापरवाही के चलते रात में अपरिहार्य परिस्थिति को आपने खुद आमँत्रित किया.

हालाँकि आप में पुलिसिंग आज भी जिंदा है तभी तो आपने सिपाहियों को भेजकर ऐन केन प्रकारेण आदिवासी युवती की शिकायत थाने में दर्ज कराई. इसके लिए आपका साधुवाद लेकिन अधीनस्थ पुलिस
को कब उसके कर्त्तव्य का अहसास करा पाएंगे ?

आईजी सर . . . प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए जाने लगे हैं. हाल ही में राजधानी में प्रमुख विपक्षी दल ने मुख्यमँत्री आवास घेरने का आँदोलन इसी विषय पर किया था.

वह तो शुक्र मनाईए कि भाजपा आज प्रदेश में विपक्ष में नहीं है. नहीं तो वह इसी विषय पर इतना बडा़ सवाल पैदा करती कि उक्त आदिवासी युवती की आवाज़ बन जाती. तब आपको अथवा आपकी पुलिस को बचने के रास्ते ढूँढने पड़ते.

इसी विषय पर वरिष्ठ पत्रकार अतुल श्रीवास्तव कहते हैं कि जिस देश में आदिवासी महिला राष्ट्रपति, राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री और देश में ओबीसी प्रधानमंत्री होने के बाद भी एक आदिवासी युवती को अपनी शिकायत दर्ज कराने थाने दर थाने भटकना पडे़ तो इससे शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है.

बहरहाल, नवपदस्थ आईजी से प्रतिक्रिया लेने कार्यालय से सँपर्क स्थापित किया गया. वहाँ से पता चला कि नाँदगाँव आईजी आईपीएस अभिषेक शाँडिल्य प्रवास पर हैं. उनके सोमवार को लौटने की जानकारी मिली.