झूमते गाते नजर आए विधि के छात्र
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राजनाँदगाँव.
पँडित किशोरीलाल शुक्ल विधि महाविद्यालय में वरिष्ठ विद्यार्थियों को विदाई दी गई. इस अवसर पर विधि के विद्यार्थी झूमते गाते नजर आए.
उल्लेखनीय है कि इस महाविद्यालय का सँचालन नाँदगाँव शिक्षा मँडल कर रहा है. पहले रविशँकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर यह सँबद्ध था. अब हेमचँद्र यादव विवि दुर्ग से जुडा है.
पँडित किशोरीलाल शुक्ल विधि महाविद्यालय, राजनाँदगाँव की स्थापना बार काउंसिल ऑफ इंडिया से 1967 में पंजीकरण प्राप्त कर की गई थी. इसकी स्थापना 1956 में पंजीकृत सोसायटी, नाँदगाँव शिक्षा मंडल द्वारा की गई.
यह महाविद्यालय छत्तीसगढ़ में अपने क्षेत्र का एक प्रमुख सँस्थान है. इसने समाज की सेवा के लिए असंख्य योग्य और कुशल विधि पेशेवरों को योगदान दिया है.
वर्ष 1959 में दिग्विजय कॉलेज में केवल 20 छात्रों के साथ विधि विभाग के रूप में यह स्थापित हुआ था. पहले मानद प्राचार्य किशोरीलाल शुक्ल थे जोकि नाँदगाँव शिक्षा मँडल से जुडे थे.
यह मँडल 1956 में पंजीकृत हुआ. यह महाविद्यालय की आधार सोसायटी है. सत्र 1967-68 में सोसायटी ने बीसीआई के निर्देशों का पालन करते हुए विधि विभाग को एक स्वतंत्र पूर्ण विकसित विधि महाविद्यालय में परिवर्तित करने के संबंध में एक बड़ा निर्णय लिया.
हमारी लाइब्रेरी को ई – लाइब्रेरी की सुविधा के साथ राजनाँदगाँव क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ और अच्छी तरह से सुसज्जित पुस्तकालयों में से एक माना जाता है. इसमें पुस्तकों, पत्रिकाओं, डाइजेस्ट और मैनुअल का अच्छा संग्रह है.
एक बहुत ही सक्रिय कानूनी सहायता क्लिनिक के साथ, कॉलेज राजनाँदगाँव जिले के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी साक्षरता को बढ़ावा देने में भी प्रभावी रूप से जुड़ा हुआ है. जिले के विभिन्न हिस्सों में कई कानूनी साक्षरता शिविरों का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया है.
कॉलेज द्वारा प्रदान की गई आधुनिक सुविधाएँ और माहौल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा प्रदान करते हैं. क़ानून संख्या 28 के प्रावधानों के अनुसार, कॉलेज के शासी निकाय का गठन किया गया है. कॉलेज का उद्देश्य पूरी मानवता के कल्याण के लिए कानूनी शिक्षा के उच्च मानकों को प्रदान करना है.