क्या वाकई ईमानदार और गरीबों के मसीहा हैं मुख्यमंत्री?

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नेशन अलर्ट/रायपुर।
भाजपा ने जिस सोशल मीडिया को अपना हथियार बनाया था अब वही उसके लिए परेशानी खडी करने लगा है। इस बार तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के चेहरे पर ऐसा दाग सोशल मीडिया में वायरल हुई एक खबर से लगा है कि भाजपा ‘दाग अच्छे हैं’ कह भी नहीं सकती। रायपुर का इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला और वायरल हुई सीडी भाजपा से कहीं ज्यादा मुख्यमंत्री के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं।

यहां क्लिक कर देखें उमेश सिन्हा के नार्काे टेस्ट का वह वीडियो जो इन दिनों वायरल हो रहा है…

यह सबकुछ ऐन विधानसभा चुनाव के पूर्व हुआ है। भले ही इसे भाजपा आने वाले दिनों में राजनीतिक साजिश ठहरा दे लेकिन उसके ‘साफ्ट फेस; पर जो कालिख पोती गई है उसे धोने में कहीं पार्टी ही धुल न जाए यह चिंता भाजपा को सताए जा रही है।

अब तक छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री का चेहरा पाक साफ माना जाता रहा है। उन्हें गरीबों का हमदर्द भाजपाई बताते रहे हैं। … लेकिन इस बार वही चेहरा भ्रष्टाचार की कालिख से पुता हुआ नजर आता है …इस बार उसी मुख्यमंत्री पर गरीब खातेदारों के पैसे से रिश्वत लेने का आरोप है जिन्हें गरीबी के विरुद्ध लडऩे वाला चेहरा भाजपा बताते रही है।

इस खेल में मुख्यमंत्री अकेले नहीं हैं। रायपुर दक्षिण विधायक बृजमोहन अग्रवाल से लेकर तत्कालीन वित्त मंत्री अमर अग्रवाल, तब के गृह व सहकारिता मंत्री रामविचार नेताम के भी नाम सामने आ रहे हैं। बृजमोहन जहां जलकी घोटाले में फंसे हुए हैं वहीं अमर के नाम से भदौरा भूमि घोटाला जोड़ा जाते रहा है।

तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ओपी राठौर चूंकि अब इस दुनियां में नहीं हैं इस कारण उन पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं लग सकते लेकिन यहां भाजपा के एक तिहाई मंत्रियों को अब तक कोई जवाब नहीं सूझा है। न तो भाजपा ने सोशल मीडिया की खबर पर अब तक कोई आपत्ति की है और न ही कोई पुलिसिया शिकायत …तो क्या यह माना जा सकता है कि खबर सच है …सीडी सच है …नार्को टेस्ट में उमेश सिन्हा ने जो बताया वही सच है !

गरीबों का पैसा कैसे डकार गए
खबर इसलिए भी भाजपा के लिए परेशानी खड़ी करने वाली है क्यूंकि इंदिरा प्रियदर्शनी सहकारी बैंक में गरीब खातेदारों ने अपनी रकम जमा करी थी। किसी को अपनी बेटी ब्याहने की चिंता थी तो किसी को अपने मकान की… तो किसी ने बुरे वक्त के लिए अपना पेट काटकर पाई-पाई जोड़कर रकम इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक में जमा कराई थी। उन्हें क्या मालूम था कि बुरे वक्त पर यह रकम उनके किसी काम नहीं आ पाएगी क्यूंकि इस पर तो डाका पड़ चुका है।

रायपुर का इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला तब जितना गंभीर नहीं हुआ था जितना इस साल हुआ है। वर्ष 2006-07 में इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक में गरीब हितग्राहियों द्वारा जमा कराए गए रुपयों में गड़बड़ी की गई थी। प्रथम दृष्टया मामला 54 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला उजागर हुआ था। तब न्यायालय के निर्देश पर प्रबंधक रहे उमेश सिन्हा का नार्काे टेस्ट कराया गया।

इस नार्काे टेस्ट में उमेश सिन्हा ने यह स्वीकारा था कि उन्होंने रायपुर के विधायक बृजमोहन अग्रवाल सहित तत्कालीन वित्त मंत्री अमर अग्रवाल, तत्कालीन गृह मंत्री रामविचार नेताम, तत्कालीन डीजीपी ओपी राठौर के अलावा मुख्यमंत्री को स्वयं जाकर करोड़ रुपए दिए थे।


डायरी से गायब हुई सीडी

जिस न्यायालय के निर्देश पर उमेश सिन्हा का नार्काे टेस्ट कराया गया उसी न्यायालय तक नार्काे टेस्ट की रपट नहीं पहुंच पाई। ऐसा क्यों और किसके इशारे पर हुआ यह जांच का विषय है लेकिन नार्को टेस्ट की सीडी डायरी से ही गायब हो गई। यह हर किसी को मालूम है। सीडी गायब होने के बाद तकरीबन 5 साल तक इसकी कोई खोज खबर नहीं आई लेकिन वर्ष 2013 के चुनाव आते-आते तक वहिी सीडी वायरल होने लगी जिसमें उमेश सिन्हा ने मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री को दागदार बताया था।
अब इसके बाद एक सवाल जेहन में आता है कि क्या वाकई हमारे मुख्यमंत्री ईमानदार हैं… क्या वाकई छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री गरीबों की सुध लेने वाले हैं? इसके साथ ही एक और सवाल बड़ी तेजी से उठता है कि जब न्यायालय के निर्देश पर उमेश सिन्हा का नार्काे टेस्ट कराया गया तो उसकी रपट न्यायालय में क्यूं नहीं सौंपी गई और किसके इशारे पर सीडी केस डायरी से गायब की गई। और तो और इसका किस-किस ने लाभ उठाया और किसका इससे उत्थान हुआ यह आने वाले दिनों में नेशन अलर्ट आपको बताएगा।

(वीडियो सौजन्य से : पत्रिका)
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