रेलवे के लिए आचार संहिता से बढ़कर है विज्ञापन के लिए एजेंसियों से किया गया कांट्रैक्ट

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नेशन अलर्ट/रायपुर।

चुनावी माहौल के बीच भारतीय रेलवे आचार संहिता का माखौल उड़ा रहा है। प्रदेश में चल रही कई ट्रेनों में अब भी छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं का बखान करने वाले विज्ञापन प्रदर्शित किए जा रहे हैं। रोजाना सुबह 5.40 को डोंगरगढ़ से रायपुर तक चलने वाली मेमू में ऐसे ही विज्ञापन अब भी चस्पा हैं। हमने यह तस्वीर 8 अक्टूबर की सुबह 6.30 मिनट पर ली। यह ट्रेनें प्रदेश के बड़े हिस्से में भाजपा सरकार की योजनाओं का संदेश पहुंचा रही है। इसमें बड़ा फैक्ट ये कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की तस्वीरें चस्पा इस विज्ञापन को हटाने के लिए रेलवे के पास गाईड लाईन ही नहीं है, ऐसा रेलवे के रायपुर डीआरएम का कहना है।

रेलवे की कार्यशैली उस पर भारी पड़ सकती है। आचार संहिता लागू होने के बाद भी ट्रेनों में भाजपा सरकार के विज्ञापन का प्रदर्शन मुसीबत बन सकता है। बावजूद इसके रेलवे प्रबंधन इस गंभीर लापरवाही को गाईड लाईन की आड़ में छिपाने की कोशिश कर रहा है। विज्ञापन के प्रदर्शन से जुड़ा सवाल करने पर रेलवे रायपुर के डीआरएम सकपका जाते हैं। और उनसे टका सा जवाब मिलता है कि, हमने ट्रेनों में प्रदर्शन विज्ञापन के लिए कांट्रेक्ट किया है उसे कैसे हटाएं ये देखना पड़ेगा। डीआरएम के ऐसे जवाब से रेलवे की लापरवाही सामने आती है।

आयोग पर भी सवाल

रेलवे को प्रदर्शन विज्ञापन से राजस्व का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है। लगभग सभी राज्यों में सरकारें अपने विज्ञापन ट्रेनों में चस्पा करवातीं हैं। ऐसे में चुनाव आयोग का इस ओर ध्यान न जाना भी बड़ा सवाल है। आचार संहिता के साथ ही सभी सरकारी, निजी स्थानों पर लगी प्रचार सामाग्री हटा दी जाती है। आयोग के आदेश पर ऐसा होता है। इसे देखते हुए आश्चर्य है कि आयोग उस रेलवे को अपने राडार में नहीं रखता जो प्रदेश के बड़े हिस्से में सरकार की योजनाओं का बखान करने वाले विज्ञापन प्रदर्षित कर रहा है।

एजेंसियों से कांट्रेक्ट इतना अहम

रेलवे प्रबंधन से मिला जवाब हैरान करने वाला है। रेलवे रायपुर के डीआरएम कहते हैं कि हम विज्ञापनों के लिए एजेंसियों से कांट्रेक्ट करते हैं। अब इन्हें हटाने के लिए हमें कांट्रेक्ट की शर्ताें को देखना होगा। सवाल उठता है, क्या आचार संहिता के दौरान भी रेलवे के लिए वो कांट्रेक्ट इतना अहम हो जाता है जो उन्होंने विज्ञापन एजेंसियों से किया है। एक शासकीय संस्था होने के बाद भी आयोग की नजर भी इस पर नहीं पड़ती। वहीं इस मामले में सीनियर डीसीएम तन्मय मुखोपाध्याय से चर्चा करने की कोशिश की गई पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया। इस मामले में कांग्रेस की नेता किरणमयी नायक ने शिकायत करने की बात कही है। उन्होंने इसे आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन कहा है।

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