आईएएस-आईपीएस अफसर घबराहट में

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रायपुर।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक काम तो वास्तव में बेहद अच्छा किया है। वह काम आईएएस-आईपीएस जैसे रैंक के अफसरों को उनकी परफार्मेंस देखकर अनिवार्य रुप से सेवानिवृत्त करने का है। इस काम को आम जनता भी सराह रही है।

दरअसल, आम जन मानस को यही लगता रहा है कि इन बड़े अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है लेकिन मोदी सरकार ने यह परंपरा बदल दी है। अब जिस तरीके से आईएएस-आईपीएस अफसर देश भर में नौकरी से निकाले जा रहे हैं उससे छत्तीसगढ़ के इन अफसरों में घबराहट दिखाई दे रही है।

लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा का नारा था कि अच्छे दिन आएंगे… आम जनता के लिए भले ही कई मोर्चों पर अच्छे दिन अभी भी न आए हुए हों लेकिन अफसरों के खिलाफ उनकी नाराजगी अब अपना रंग दिखाने लगी है। कई अफसर बड़े बे-आबरु होकर निकाले गए हैं। छत्तीसगढ़ में ही 3 आईपीएस अब तक अलग-अलग मामलों को लेकर इसी कड़ी में शामिल हो गए हैं। पहले राजकुमार देवांगन और उसके बाद एएम जूरी, केसी अग्रवाल जैसे आईपीएस अफसर सरकार द्वारा घर बैठा दिए गए हैं।

कुछ और निशाने पर
छत्तीसगढ़ के कुछ और अफसर सरकार के निशाने पर हैं। कईयों की वर्दी छिन जाएगी तो कई अफसरों के हाथ से शक्ति। मतलब साफ है आईपीएस-आईएएस अफसर छत्तीसगढ़ में यदि पाक साफ नहीं हैं तो उनके लिए आने वाले दिन बुरी खबर लेकर आ सकते हैं।

भ्रष्टाचार व अन्य आरोपों को लेकर सरकार का नजरिया जनता को पसंद आ रहा है। अधिकारी दबाव में हैं। दनादन कार्रवाई हो रही है। प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में इसी तरह की कार्रवाई छत्तीसगढ़ में आईएएस अफसरों पर की जा सकती है। ऑल इंडिया सर्विस डेट कम रिटायरमेंट बेनिफिट (डीसीआरबी) 1958 के नियम 16(3) के प्रावधानों के तहत इसी तरह की कार्रवाई की जा सकती है।

डीओपीटी ने इन अफसरों की सर्विस बुक खंगाल ली है। विभागीय जांच के दस्तावेज अलट-पलट के देख लिए हैं। और तो और अपनी अनुशंसा के साथ फाईल पीएमओ को भेज दी है। वहां से कभी भी इन अफसरों को अनिवार्य रुप से सेवानिवृत्त करने का आदेश थमाया जा सकता है।

अब तक सेवानिवृत्त हुए अफसर
राजकुमार देवांगन 1992 बैच, आईजी होमगार्ड थे, 1998 के मामले में 11 जनवरी, 2017 को आया आदेश।
एएम जूरी 2000 बैच, एआईजी योजना प्रबंध थे। वर्ष 2008 के मामले में 5 अगस्त 2017 को आया आदेश।
केसी अग्रवाल, 2002 बैच, डीआईजी टेलिकाम थे। वर्ष 2005 के मामले में 5 अगस्त 2017 को आया आदेश।

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