बृजमोहन से अफसरों ने बनाई दूरी

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रायपुर।

कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से ज्यादातर अफसरों ने दूरी बना ली है। राज्य के वरिष्ठ मंत्री होने के बावजूद अग्रवाल से दूरी का कारण ‘सरकार’ की गुडबुक में बने रहना है। लगता है, कई बड़े अधिकारियों ने यह मान लिया है कि बृजमोहन अब एक डूबता सितारा है।

कृषि मंत्री अग्रवाल संभवत: अपने जीवन का सबसे कठिन समय का सामना कर रहे हैं। राज्य के कई मंत्रियों से वरिष्ठ अग्रवाल जिनकी तूती अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से भाजपा के भीतर और बाहर बोलती रही है वह इन दिनों न केवल परेशानी का सामना कर रहे हैं बल्कि अपने वजूद को बनाए रखने की लड़ाई भी लड़ रहे हैं।

यहां भी आया पुत्रमोह
देश-प्रदेश की राजनीति में विवादों का बहुत बड़ा कारण पुत्रमोह बताया जाता है। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर भाजपा के अनगिनत मंत्री सहित विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के सितारे पुत्रमोह के चलते तकरीबन डूब गए हैं। ऐसा ही कुछ इस बार बृजमोहन अग्रवाल के साथ हो रहा है। महासमुंद जिले के सिरपुर के पास बनाए गए रिसॉर्ट के मामले में अग्रवाल की पत्नी सहित सुपुत्र का नाम जोर-शोर से उठा है।

अग्रवाल की दिक्कत यह है कि एक तरफ उन्हें घर की तरफ ध्यान देना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ सार्वजनिक जीवन में कई लोगों की बेरुखी का सामना भी करना पड़ रहा है। रुख मोड़ चुके लोगों में ज्यादातर वो अधिकारी शामिल हैं जो कि अग्रवाल को पहले दुआ – सलाम करते रहे हैं। चूंकि इस बार अग्रवाल का जमीन संबंधी विवाद न केवल सामने आया है बल्कि राज्य सरकार भी अब तक खुलकर उनके पक्ष में नहीं उतरी है।

शायद यही कारण है कि कई अफसरों ने अग्रवाल से मिलना तो छोड़ टेलीफोनिक बातचीत भी बंद कर दी है। अफसरों को डर इस बात का है कि यदि उनकी बातचीत अग्रवाल से होती रही तो सरकार की पसंद के मामले में वो कहीं पीछे न छूट जाएं।

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