दंतेवाड़ा, कांकेर के बाद नांदगांव को मिलेगा डीआईजी

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रायपुर।

नक्सली मोर्चे पर लड़ रही सरकार ने अब उन खाली पड़े पदों को भरने का निर्णय लिया है जो कि माओवाद के खिलाफ बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। दंतेवाड़ा, कांकेर के बाद अब इसी कड़ी में राजनांदगांव के डीआईजी का पद भरा जा सकता है। ये पद काफी लंबे वक्त से रिक्त है।

फरवरी के पहले सप्ताह में दंतेवाड़ा डीआईजी पद पर पी. सुंदरराज की नियुक्ति हुई थी। सुंदरराज हालांकि कुछ समय के लिए बस्तर के प्रभारी आईजी भी बनाए गए थे। विवेकानंद सिन्हा को बिलासपुर से हटाकर बस्तर आईजी पद पर पदस्थ करने के बाद सरकार ने दंतेवाड़ा डीआईजी का प्रभार सुंदरराज के पास यथावत रखा है। इसी तरह पिछले दिनों कांकेर में डीआईजी पद पर रतनलाल डांगी की नियुक्ति हुई। अब नांदगांव का नंबर बताया जाता है।

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कुमार के समय हुई थी पहली नियुक्ति
राजनांदगांव डीआईजी पद पर पहली नियुक्ति इसी सरकार के कार्यकाल में हुई थी। तब डीआईजी पद पर पवन देव आए हुए थे। देव पहले राजनांदगांव एसपी रह चुके थे। जब वो डीआईजी बतौर नांदगांव में पदस्थ हुए तब एसपी अमित कुमार हुआ करते थे। इसी तरह डीआईजी रेंज में शामिल कवर्धा जिले के एसपी डॉ. आनंद छाबड़ा हुआ करते थे।

देव के बाद कई डीआईजी बीच-बीच में आए और चले गए लेकिन नक्सलवाद का खात्मा नहीं हो पाया। अब जाकर सरकार का ध्यान इस ओर पुन: गया है। वर्तमान में डीआईजी पदस्थ कर राजनांदगांव के साथ-साथ कवर्धा में पांव पसार रहे नक्सलियों से लडऩे की पुलिस की क्षमता को सरकार बढ़ाना चाहती है।

बताया जाता है कि मानसून सत्र के बाद सरकार कभी भी किसी भी दिन राजनांदगांव डीआईजी पद पर नियुक्ति का आदेश निकाल सकती है। इस कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण नाम बद्रीनारायण मीणा का बताया जाता है। मीणा का नाम इसलिए चर्चा में है क्यूंकि वे पहले राजनांदगांव एसपी रहने के अलावा कवर्धा एसपी भी रह चुके हैं। फिलहाल वे रायगढ़ एसपी का दायित्व संभाल रहे हैं लेकिन डीआईजी पद पर पदोन्नत हो गए हैं। उन्हें राजनांदगांव भेजकर सरकार रायगढ़ में एसपी नियुक्त करने के साथ ही नांदगांव-कवर्धा में नक्सलियों पर लगाम कस सकती है।

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