अंतरिम राहत आवेदन हुआ खारिज

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नेशन अलर्ट/www.nationalert.in
बिलासपुर/नई दिल्‍ली। पुलिस उपनिरीक्षक सहित अन्‍य पदों पर छत्‍तीसगढ़ में होने वाली भर्ती पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर की गई स्‍पेशल लिव पीटिशन (एसएलपी) सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गयी है। जज हिमा कोहली ने यह कहते हुए अंतरिम राहत आवेदन खारिज किया है कि फिलहाल इस पर सुप्रीम कोर्ट हस्‍तक्षेप नहीं कर सकता है क्‍योंकि बिलासपुर हाईकोर्ट में प्रकरण की सुनवाई की जा रही है।

पुलिस विभाग में 971 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक इनमें से 274 पद प्‍लाटून कमांडर के लिए आरक्षित हैं। वे बताते हैं कि महिला उम्‍मीदवार प्‍लाटून कमांडर के पद पर भर्ती के लिए पात्र नहीं होंगी ऐसा उल्‍लेख विज्ञापन में किया गया था।

इसके बावजूद 4000 से अधिक महिलाओं को प्‍लाटून कमांडर के पद के लिए पात्र मान लिया गया था। इससे पात्र पुरूष उम्‍मीदवार चयन प्रक्रिया से बाधित हो गए थे। एक्‍स सर्विसमेन के लिए 1900 पद स्‍वीकृत हैं जबकि कुल पात्र उम्‍मीदवारों की संख्‍या ही 450 बताई जाती है।

अब तक क्‍या हुआ ?
एसआई सहित सुबेदार, प्‍लाटून कमांडर, सबइंस्‍पेक्‍टर (रेडियो), सबइंस्‍पेक्‍टर (कंप्‍यूटर) जैसे 971 पदों पर भर्ती के लिए 13 सितंबर 2021 को विज्ञापन जारी हुआ था। इसकी परीक्षा छत्‍तीसगढ़ व्‍यवसायिक परीक्षा मंडल ने ली थी।

इस साल 29 जनवरी को बिलासपुर सहित रायपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर व दुर्ग में परीक्षा आयोजित हुई थी। लिखित परीक्षा के परिणाम जारी हो गए हैं। इसके बाद तकरीबन 105 याचिका बिलासपुर हाईकोर्ट में लगाई गई है जिस पर फिलहाल सुनवाई जारी है।

हाईकोर्ट ने राज्‍य शासन को जो निर्देश दिया है उसके मुताबिक उसे सूची का परीक्षण वापस करना है। ऐसा इसलिए कि प्‍लाटून कमांडर में महिला की भर्ती न हो सके। हाईकोर्ट को राज्‍य शासन ने परीक्षण करने के बाद ही प्रक्रिया पूरी करने का आश्‍वासन दिया है।

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की उस मांग को खारिज कर दिया था जिसमें उन्‍होंने भर्ती प्रक्रिया रोकने की मांग की थी। राहत नहीं मिलने के बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट की ओर भागे। उनकी ओर से एसएलपी दायर की गई।

याचिकाकर्ताओं ने गुजारिश की थी कि यदि अभी भर्ती नहीं रोकी गई तो आगे और विवाद बढ़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट की जज इस बात से सहमत नहीं हुई और उन्‍होंने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि फिलहाल हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है जिसमें सुप्रीम कोर्ट हस्‍तक्षेप नहीं कर सकता है।

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