अंततः कमल शुक्ला की सेहत की खबर लेने अस्पताल पहुंचे सलाहकार

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रायपुर.

कांकेर कांड के नाम पर देश में सुर्खियां बटोर रहा प्रकरण धीरे धीरे ही सही लेकिन गंभीर हुए जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला व अन्य की पिटाई के मामले में राज्य सरकार अब हरकत में आती नज़र आ रही है.

उल्लेखनीय है कि कमल शुक्ला को बीते दिनों कांकेर के भरे बाजार में थाने के सामने पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में पीटा गया था. मारपीट व गाली गलौच करने वाले कांग्रेस के पदाधिकारी बताए जाते हैं.

इस घटना के बाद कार्रवाई की मांग सहित पत्रकार सुरक्षा कानून बनाए जाने की अपनी मांग को लेकर कमल शुक्ला ने अपने साथियों के साथ राजधानी में प्रदर्शन शुरु कर दिया. उन्हें रात के अंधेरे में पुलिस उठाकर ले गई और अस्पताल में भर्ती कराया.

अब तक चुप थी फिर हरकत में क्यूं आई सरकार ?

बताया जाता है कि कमल शुक्ला पिटाई प्रकरण प्रदेश की राजधानी रायपुर से निकलकर देश की राजधानी नईदिल्ली में चर्चा विषय बनते जा रहा है. कांग्रेस से ज्यादा इस विषय पर अन्य दलों की निगाहें लगी हुई हैं.

राष्ट्रीय मीडिया आए दिन इस मुद्दे पर खबर बना रहा है अथवा दिखा रहा है. दस जनपथ में भी यह विषय पहुंचाने की कोशिश की खबर है. देश के एक दो मंत्रियों द्वारा इस पर कार्रवाई के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखे जाने की जानकारी मिल रही है.

एक प्रतिष्ठित पत्रकार इस मुद्दे पर राष्ट्रीय कांग्रेस को नफा नुकसान समझा कर आ गए हैं ऐसा पता चल रहा है. गुप्तचर सक्रिय कर दिए गए हैं यह जानकारी मिल रही है. इसी बीच इस मुद्दे पर अब तक तकरीबन शांत बैठी राज्य सरकार आज अचानक हरकत करती नज़र आई.

सरकार की ओर से मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार और मीडिया सलाहकार शुक्रवार दोपहर वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला की तबियत जानने डीकेएस अस्पताल पहुंचे थे. उनकी यह मुलाकात पूरी तरह से व्यक्तिगत बताई जा रही है.

कांकेर के ही बाशिंदे पेशे से पत्रकार सुशील शर्मा लिखते हैं कि ” वे केवल कमल शुक्ला का हालचाल जानने के लिए अस्पताल पहुंचे थे. कांकेर कांड के दोषियों पर कार्रवाई आदि को लेकर उन्होंने कोई आश्वासन नहीं दिया. उन्होंने निजी तौर पर कमल शुक्ला से आमरण अनशन खत्म करने का आग्रह किया.”

हालांकि कमल शुक्ला का अनशन अब भी जारी है. कमल कहते हैं कि जब तक सरकार दोषियों पर कार्रवाई नहीं करती उनका अनशन जारी रहेगा. बहरहाल, कमल शुक्ला की सेहत दिन प्रतिदिन गिरती जा रही है. उनका वजन भी तेजी से गिरा है.

पत्रकारों ने भी उनसे अनशन तोड़ने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने कह दिया है कि जब तक कार्रवाई नहीं होगी, अनशन खत्म नहीं होगा. कांकेर, बस्तर, रायपुर अथवा छत्तीसगढ़ की पत्रकार बिरादरी सहित देश के पत्रकार साथी कमल शुक्ला के स्वास्थ्य को लेकर बेहद चिंतित हैं.

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