जगदलपुर।
क्या किसी अफसर को सिर्फ इस बात के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है कि उसका नाम किसी जंगली जानवर के शिकार में आया है? आश्चर्य मत करिए ऐसा सच में हुआ है. स्थानांतरित अफसर केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) का कमांडेंट है. कमांडेंट साहब को बस्तर की हरी भरी वादियों से निकालकर हिंदुस्तान का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर भेज दिया गया है.
मामला जंगली सूअर के कथित शिकार से जुड़ा हुआ है और कथित शिकार में कथित तौर पर कमांडेंट साहब का नाम है. अभी तक मृत जंगली सूअर के शव की पोरस्टमार्टम रिपोर्ट वन विभाग को नहीं मिली है. वन विभाग के अधिकारी भी बस्तर में सुरक्षाबल के जवानों के खिलाफ कार्रवाई करने के पक्ष में नहीं हैं. लेकिन रास्ता क्या निकाला जाये, बात इसी पर अटकी हुई है.
पुलिस में हुई थी एफआईआर
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह बस्तर में सीआरपीएफ के जवान शिकार करते पकड़े गये थे. सीआरपीएफ के तीन जवानों को वन विभाग की टीम ने जंगली सूअर की लाश के साथ गिरफ्तार किया था और मामले में पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवा दी गई थी. जिस जीप में जंगली सूअर को मारकर ले जाया जा रहा था उसे भी जब्त कर लिया गया था. साथ में शिकार किये गये जंगली सूअर को भी जब्त किया गया था.
वन विभाग के कर्मचारियों का कहना था कि टीम ने दरभा घाटी के पास शक होने पर जीप का पीछा करना शुरु किया. जगदलपुर के पास आकर उसे रोकने में सफलता मिल पाई, जहां तलाशी लेने पर एक मृत जंगली सूअर मिला. पूछताछ में जवानों ने इनका शिकार करना स्वीकार किया. इसके बाद वन विभाग में दरभा रेंज के रेंजर उमेश सिंह ने घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाई.
जंगली सूअर के शिकार के मामले में सीआरपीएफ के दो जवान तथा ड्राइवर को आरोपी बनाया गया है. लेकिन पुलिस की जांच अभी आगे नहीं बढ़ पाई है और किसी तरह मामले की फाइल को टालने की कोशिश हो रही है.