रायपुर. देश की विविधता, संविधान, लोकतंत्र, संसदीय संस्थाओं की स्वायत्तता, धर्मनिरपेक्षता, जनतांत्रिक और मानवाधिकार आदि सब कुछ खतरे में है.
चुनावों के बाद संघी गिरोह से नियंत्रित भाजपा सरकार द्वारा ‘फासीवादी हिन्दू राष्ट्र’ को स्थापित करने की मुहिम तेज हो गई है.
वे तर्क की जगह कुतर्क को, विज्ञान की जगह अंधविश्वास को, इतिहास की जगह पौराणिक मिथकों को, मानवीय मूल्यों की जगह पाशविकता को रोप रहे हैं.
देश में दक्षिणपंथी विचारधारा का इतना तेज हमला कभी नहीं था और इसके लिए वे सत्ता की ताकत का भी भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं.
इसका मुकाबला केवल वामपंथ ही कर सकता है. इसीलिए वामपंथी ताकतों पर और वामपंथी विचारधारा पर आज सबसे ज्यादा हमले हो रहे हैं.
उक्त बातें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने पूरे प्रदेश से पहुंचे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहीं.
वे माकपा की दो-दिनी बैठक में शामिल होने रायपुर पहुंचे थे. उन्होंने स्वीकार किया कि संसद में आज वामपंथी ताकतों की उपस्थिति बहुत कमजोर है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वामपंथी विचारधारा ख़त्म हो गई है.
वामपंथ ही देश का भविष्य है. वह जनता के बीच, जनसंघर्षों के बीच फलता-फूलता है.
वह चुनाव में हार सकता है, लेकिन दक्षिणपंथी ताकतों के आगे घुटने टेक नहीं सकता. संसद के आबदार भी दक्षिणपंथ द्वारा पेश हर चुनौती का वह डटकर मुकाबला करेगा और सदज्कों पर जन-प्रतिरोध की लामबंदी करके उसे पराजित करेगा.
इसके लिए वह अपने को पुनर्संगठित कर रही है,वर्गीय और जनसंघर्षों को तेज करने की रणनीति बना रही है और आम जनता के साथ टूटे रिश्तों को जोड़कर अपने संबंधों को पुनर्जीवित करने के काम में जुट गई है.
माकपा नेता ने कहा कि वामपंथ को कुचलने के लिए जिस तरह का आतंक ममता बेनर्जी ने चलाया, उसके कारण बंगाल में हमारे 40000 समर्थक परिवार पिछले आठ सालों से अपने गांवों में नहीं जा पा रहे हैं.
एक लाख कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुक़दमे चल रहे हैं और 10000 पार्टी सदस्यों के खिलाफ गिरफ़्तारी वारंट जारी हैं. माकपा और जनसंगठनों के हजारों कार्यालयों को तोड़ दिया गया, जला दिया गया या कब्जे कर लिए गए हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले चुनाव में ममता ने भाजपा के साथ तालमेल करके बंगाल में पैर फ़ैलाने का मौका दिया. उसकी मुस्लिम कट्टरपंथ को तुष्ट करने की नीति ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के भाजपा के मकसद को पूरा किया और 2015-18 के बीच बंगाल में 47 सांप्रदायिक दंगे हुए.
यही कारण है कि ‘इस बार राम, अगली बार वाम’ की भावना वहां काम कर गई. त्रिपुरा में भी माकपा को कुचलने के लिए भाजपा यही पैंतरे अपना रही है.
येचुरी ने कहा कि भाजपा के पास एक देशव्यापी गठबंधन था, लेकिन उसे पराजित करने के लिए विपक्ष के पास नहीं. राज्य स्तर पर केवल तमिलनाडु में ही डीएमके के नेतृत्व में एक मजबूत गठबंधन उभरा, जहां भाजपा का खाता भी नहीं खुला.
बिहार और उत्तरप्रदेश में विपक्षी एकता जमीन पर नहीं उतरी. इन चुनावों का एक महत्वपूर्ण सबक यह भी है कि सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर जातिवादी गठबंधन और जाति-समुदायों के जोड़-तोड़ से सांप्रदायिक ताकतों को पराजित नहीं किया जा सकता.
जातिवादी समीकरणों पर अपनी हिंदुत्ववादी गोटी बैठाने में भाजपा कामयाब रही. येचुरी ने कहा कि वामपंथ ने जो जनसंघर्ष संगठित किए थे, उसके कारण बेरोजगारी, भुखमरी, किसान आत्महत्या, नोटबंदी के दुष्परिणाम जैसे मुद्दे पर जनता के बीच जबरदस्त चर्चा थी.
येचुरी के अनुसार लेकिन पुलवामा की आतंकवादी घटना ने पूरा परिदृश्य बदल दिया और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर हिंदूवादी रश्रवाद की भावना को सफलता के साथ उभारा.
भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने ‘नरम हिंदुत्व’ की जो नीति अपनाई, उसके कारण दिग्विजय सिंह तक को चुनावी हार का सामना करना पड़ा.
कॉर्पोरेट फंडिंग के बल पर गोदी मीडिया द्वारा मोदी को ‘अवतार’ के रूप में पेश किया गया और लोगों ने भाजपा प्रत्याशियों को नहीं, मोदी को वोट दिया.
चुनाव आयोग के रूख ने भी भाजपा की स्पष्ट मदद की. उसने पुलवामा के 40 शहीदों की तस्वीरों के साथ मोदी द्वारा निकाले गए जुलूस के खिलाफ भी कोई कार्यवाही नहीं की.
उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों की चुनौती का मुकाबला करना है, तो धर्मनिरपेक्षता को सही मायनों में स्थापित करना होगा और देश की विविधता से भरी, बहुलतावादी संस्कृति की रक्षा करनी होगी.
चुनाव पश्चात् भाजपा द्वारा ‘एक देश, एक चुनाव’ की मुहिम पर टिप्पणी करते हुए येचुरी ने इसे धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक गणराज्य की अवधारणा पर हमला बताया और इसे गैर-संवैधानिक बताया.
उन्होंने कहा कि धारा 356 को हटाये बिना यह संभव नहीं है, जो राज्य सरकारों को भंग करने का अधिकार केंद्र को देता है. केंद्र सरकारों ने इसका मनमाना दुरूपयोग किया है. यह शुद्ध रोप से देश में तानाशाही स्थापित करने और देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने की मुहिम का हिस्सा है.
उन्होंने कहा कि 46 सार्वजनिक उद्योगों का निजीकरण किया जा रहा है. खेती की जमीन को अधिग्रहित करके उसे उद्योगों को देने की नीति बनाई जा रही है.
इससे किसानों और आदिवासियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. इन नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को टुकड़े-टुकड़े गैंग, शहरी नक्सली और देशद्रोही कहकर दमन किया जा रहा है.
येचुरी ने बताया कि इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए माकपा को पुनर्संगठित किया जा रहा है, ताकि देश की राजनीति में प्रभावी हस्तक्षेप करने की समग्र वामपंथ की ताकत बढ़े.
दक्षिणपंथ के खिलाफ वैचारिक अभियान में आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया के बेहतर इस्तेमाल का भी प्रयास किया जा रहा है.
दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के खिलाफ और स्थानीय मुद्दों पर जनसंघर्षों को संगठित करने के काम को प्राथमिकता से किया जाएगा, ताकि पार्टी की मारक क्षमता को बढ़ाया जा सके और आम जनता की चेतना का राजनीतिकरण किया जा सके.