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राजेश शांडिल्य. रायपुर/राजनांदगांव.
नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के राजनांदगांव कनेक्शन पर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल पंद्रह साल तक प्रदेश में जिस भाजपा की सरकार थी उसके शुरुआती 10 वर्षों तक राजनांदगांव के दो नेता नान के अध्यक्ष हुआ करते थे. तब से ही नान में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है ऐसी खबरें हैं.
डेढ़ दशक तक प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह हुआ करते थे. वह राजनांदगांव जिले से विधायक निर्वाचित होते रहे हैं. उन्होंने अपने जिले को राजनीतिक गलियारों में बड़ा महत्व दिया था. तब नान के शुरुआती दो अध्यक्ष डॉ. रमन ने राजनांदगांव से ही बनाए थे.
शर्मा के बाद भोजवानी थे
पूर्व सांसद अशोक शर्मा डॉ. सिंह की सरकार के प्रथम कार्यकाल में नान के अध्यक्ष हुआ करते थे. दूसरा कार्यकाल पूर्व विधायक लीलाराम भोजवानी को बतौर अध्यक्ष मिला था.
सूत्र बताते हैं कि शर्मा-भोजवानी के कार्यकाल में भी गड़बडिय़ां हुई हैं. भोजवानी का कार्यकाल तो इस हद तक विवादित था कि जब यहां राशन कार्ड की जांच हुई तो आयकर दाता भोजवानी जी का परिवार गरीबी के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए बने राशन कार्ड का उपयोग कर रहा था.
मतलब साफ है कि दोनों अध्यक्षों के कार्यकाल में भी बहुत सी गड़बडिय़ां हुई हैं. 2010 के बाद मामले में कुछ ज्यादा ही गंभीर तरह की गड़बडिय़ां की गई. 2010 में फारेस्ट सर्विस के कौशलेंद्र सिंह की नियुक्ति हुई जो कि तीन वर्ष तक बने रहे.
कौशलेन्द्र के बाद वर्तमान में दुर्ग कलेक्टर उमेश अग्रवाल एमडी बनाए गए. तीन महिने के बाद अगस्त 2013 में आईएएस अनिल टूटेजा ने एमडी का पद संभाला. तकरीबन 6 माह वह रहे और उसी दौरान नान पर छापा पड़ा.
आने वाले दिनों में हम नान के नांदगांव कनेक्शन को ज्यादा बेहतर तरीके से आपको समझा पाएंगे. दरअसल, उस अवधि में जो ट्रांसपोर्टिंग में घोटाला हुआ वह राजनांदगांव से भी जुड़ा हुआ है. इसके अलावा चावल की क्वालिटी में भी नान में मानक-अमानक का खेल जमकर हुआ. इसी खेल में राजनांदगांव के भी लोग शामिल हैं.