नेशन अलर्ट/www.nationalert.in
जनचर्चा
चुनावी माहौल में डूबे इस प्रदेश में इन दिनों 17 साल पुराने इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक में हुए घोटाले की जन जन के बीच चर्चा छिड़ी हुई है। क्या आम और क्या खास… हर तरह का व्यक्ति इस तरह की चर्चा में अपने अपने तरीके से शामिल हो रहा है।
जनचर्चा बताती है कि प्रशासनिक लॉबी के बीच भी इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला इन दिनों चर्चा बटोर रहा है। बैंक के 525 खाताधारक ऐसे हैं जिनके करोड़ों रूपए बैंक में डूब गए थे। छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र से जुड़े 42 उद्योगपति इसके लिए दोषी ठहराए जाते रहे हैं।
इन्ही उद्योगपतियों ने 35 से ज्यादा कंपनियों में निवेश कर रखा था। इसके लिए बकायदा उनके द्वारा इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक से लोन लिया गया था और रफूचक्कर हो गए थे। घोटाला उजागर होते ही सभी ने अपने शेयर बेच दिए थे। ऐसी भी चर्चा है।
अब इस बात की चर्चा हो रही है कि इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के प्रबंधक रहे उमेश सिन्हा से जुड़ी सीडी पब्लिक के बीच कैसे और कब आई थी? उमेश सिन्हा को गिरफ्तार कर तत्कालीन प्रदेश सरकार के समय गठित एसआईटी की टीम ने उसका नार्को टेस्ट कराया था।
इसी नार्को टेस्ट की सीडी जब उजागर हुई तो प्रदेश में हाहाकार मच गया था। इस सीडी में उमेश सिन्हा कहते नजर आ रहे थे कि उन्होंने किस किस को कितने कितने रूपए दिए हैं। मामला चूंकि राजनीति से जुड़ा हुआ था इसकारण सीडी आई और गई हो गई।
अभी हाल ही में जब प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री ने 21 जून की शाम 4:38 मिनट को इस सीडी से जुड़े मामले पर एक बार फिर ट्विट किया तो पुरानी चर्चाएं फिर लोगों की जुबां पर आ गई। इसी चर्चा में जुड़ा हुआ एक मसला है जो कि एक पुलिस अधिकारी से संबंधित है।
इस पुलिस अधिकारी को आईपीएस रैंक का बताया जाता है। यह पुलिस अधिकारी कभी राजधानी का पुलिस कप्तान भी रह चुका है। और तो और इस पुलिस अधिकारी की राजनेताओं से इतनी बनती थी कि इसे तकरीबन हर समय मलाईदार पोस्ट ही मिलती रही थी।
इस आईपीएस की भूख इतनी ज्यादा रही कि इसने ही उस सीडी को जनचर्चा के मुताबिक न्यायालय में प्रस्तुत करने के स्थान पर लोगों के बीच सार्वजनिक किया था जिसमें बड़े बड़े दिग्गज नेता शामिल थे। अब यह अधिकारी आनंद के साथ जीवन यापन भले ही कर रहा है लेकिन उसे उन गरीब परिवारों की दुआ-बद्दुआ का भी सामना करना पड़ेगा जिनका पैसा इस बैंक घोटाले में डूब गया था।