ये कैसा सलवा जुडूम..? वर्षों से पगार के लिए पूछा भी नहीं

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बीजापुर।

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सलवा जुडूम सुर्खियों में है. इस बार मामला किन्हीं दूसरे कारणों से चर्चा में आया है. दरअसल, सलवा जुडूम अंतर्गत एसपीओ बनाए गए ग्रामीण 2014 से वेतन नहीं मिलने के चलते परेशान हैं. साथ ही साथ उन्हें इस बात का भी खौफ है कि कहीं नक्सली उन्हें मार न दें.

छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में सलवा जुडूम के तहत एसपीओ के पद पर बहाल लोग वेतन नहीं मिलने के कारण आंदोलन की राह पकडऩे को मजबूर हैं.

सरकार ने बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाके के लोगों को साल 2005 में सलवा जुडूम के तहत माओवादियों की खिलाफत करने के लिए एसपीओ के पद पर बहाल किया था. तब से ये लोग माओवादियों के खिलाफ पुलिस के साथ काम कर रहे थे.

इंसाफ की आस
इनके लिए 2014 तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा, लेकिन इसके बाद इन्हें वेतन मिलना बंद हो गया. इनमें से कई पीडि़त इंसाफ की आस लेकर संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में पुलिस अधिकारियों से मिलने पहुंचे. हालांकि, अधिकारियों ने मिलने का समय दिए जाने के बाद भी उनसे मुलाकात नहीं की.

बता दें कि ये सभी पीडि़त लोग आम आदमी पार्टी की नेता सोनी सोढ़ी के नेतृत्व में बस्तर रेंज के आईजी विवेकानंद से मिलने पहुंचे थे. सोनी सोढी ने मीडिया से बात करते हुए कहा इनके पास न तो व्यवसाय है, न जमीन है और न ही कोई नौकरी. ये टूट कर एकदम बिखर गए हैं. सरकार इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही है.

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